महात्मा बुद्ध का ये प्रेरक प्रसंग बदल सकता है आपका जीवन

Sunday, Mar 06, 2022 - 11:44 AM (IST)

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भगवान बुद्ध एक गांव में उपदेश दे रहे थे। उन्होंने कहा,‘‘हर किसी को धरती माता की तरह सहनशील तथा क्षमाशील होना चाहिए। क्रोध ऐसी आग है जिसमें क्रोध करने वाला दूसरों को जलाएगा तथा खुद भी जल जाएगा।’’

सभा में सभी शांति से बुद्ध की वाणी सुन रहे थे, लेकिन वहां स्वभाव से ही अतिक्रोधी एक ऐसा व्यक्ति भी बैठा हुआ था जिसे ये सारी बातें बेतुकी लग रही थीं। 

वह अचानक ही आग-बबूला होकर बोलने लगा, ‘‘तुम पाखंडी हो, तुम लोगों को भ्रमित कर रहे हो, तुम्हारी ये बातें आज के समय में कोई मायने नहीं रखतीं।’’
 
ऐसे कई कटु वचनों को सुनकर भी बुद्ध शांत रहे। यह देखकर वह व्यक्ति और भी क्रोधित हो गया और वह बुद्ध के मुंह पर थूक कर वहां से चला गया।

अगले दिन जब उस व्यक्ति का क्रोध शांत हुआ तो वह पछतावे की आग में जलने लगा। व्यक्ति ने बुद्ध के बारे में लोगों से पूछा और ढूंढते-ढूंढते जहां वह प्रवचन दे रहे थे वहां पहुंच गया। उन्हें देखते ही वह बोला, ‘‘मुझे क्षमा कीजिए प्रभु।’’

बुद्ध ने पूछा, ‘‘कौन हो भाई? क्यों क्षमा मांग रहे हो?’’ उसने कहा, ‘‘क्या आप भूल गए। मैं वही हूं जिसने कल आपके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया था। मैं शॄमदा हूं। मैं अपने दुष्ट आचरण के लिए क्षमा मांगने आया हूं।’’

भगवान बुद्ध ने प्रेमपूर्वक कहा, ‘‘बीता हुआ कल तो मैं वहीं छोड़ आया और तुम अभी भी वहीं अटके हुए हो। तुम्हें अपनी गलती का आभास हो गया, तुमने पश्चाताप कर लिया, तुम निर्मल हो चुके हो, अब तुम आज में प्रवेश करो। बीते हुए कल के कारण आज को मत बिगाड़ो।’’ 

उस दिन से उस व्यक्ति में परिवर्तन आ गया और उसके जीवन में सत्य, प्रेम व करुणा की धारा बहने लगी।

 

Jyoti

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