Dharmik Katha:  ईश्वर बहुत दयालु है

Thursday, Aug 19, 2021 - 05:00 PM (IST)

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एक राजा का एक फलों का एक विशाल बगीचा था, उसमें तरह-तरह के फल होते थे और उस बगीचे की देख-रेख एक किसान अपने परिवार के साथ करता था। वह किसान हर दिन बगीचे के ताजे फल लेकर राजा के राजमहल में जाता था।

एक दिन किसान ने देखा नारियल, अमरूद, बेर और अंगूर पक कर तैयार हो रहे हैं, किसान सोचने लगा आज कौन-सा फल महाराज को अॢपत करूं। फिर उसे लगा अंगूर ले जाने चाहिएं। उसने अंगूरों की टोकरी भर ली और राजा को देने चल पड़ा।

किसान राजमहल में पहुंचा। राजा किसी दूसरे ख्याल में खोया हुआ था और नाराज भी लग रहा था। किसान ने रोज की तरह मीठे रसीले अंगूरों की टोकरी राजा के सामने रख दी और थोड़ी दूर बैठ गया। अब राजा टोकरी में अंगूर उठाता एक खाता और एक खींच कर किसान के माथे पर निशाना साधकर फैंक देता। राजा का अंगूर जब भी किसान के माथे पर या शरीर पर लगता था तो किसान कहता था, ‘‘ईश्वर बड़ा दयालु है।’’ राजा फिर और जोर से अंगूर फैंकता था, किसान फिर वही कहता था, ‘‘ईश्वर बड़ा दयालु है।’’

थोड़ी देर बाद राजा को एहसास हुआ कि वह क्या कर रहा है और प्रत्युत्तर क्या आ रहा है। उसने किसान से कहा, ‘‘मैं तुझे बार-बार अंगूर मार रहा हूं और ये अंगूर तुम्हें लग भी रहे हैं, फिर भी तुम यह बार-बार क्यों कह रहे हो कि ईश्वर बड़ा दयालु है।’’ किसान ने नम्रता से बोला, ‘‘महाराज, बाग में आज नारियल, बेर और अमरूद भी तैयार थे पर मुझे भान हुआ, क्यों न आज आपके लिए अंगूर ले चलूं। अगर मैं नारियल लेकर आया होता तो आज मेरा हाल क्या होता? इसीलिए मैं कह रहा हूं कि ईश्वर बहुत दयालु है।’’

Jyoti

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