धन से ज्ञान नहीं मिलता, न भक्ति और न ईश्वर

Wednesday, Jul 07, 2021 - 12:18 PM (IST)

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महर्षि याज्ञवल्क्य की दो पत्नियां थीं। एक दिन उन्होंने दोनों पत्नियों को बुलाकर कहा, ‘‘मैं दीक्षा लेना चाहता हूं, तुम दोनों आपस में सारी सम्पत्ति का बंटवारा कर लो।’’

उनकी एक पत्नी मैत्रेयी ने पूछा, ‘‘मुझे बंटवारे में जो धन मिलेगा, क्या उस धन से ईश्वर भी मिल सकता है?’’

महर्षि ने उत्तर दिया, ‘‘धन से अमृत तत्व नहीं मिल सकता, यह धन से खरीदने की वस्तु नहीं है।’’ 

‘‘क्यों?’’ 

महर्षि की दूसरी पत्नी ने पूछा।

महर्षि ने समझाया, ‘‘धन से ज्ञान नहीं मिलता, न भक्ति और न ईश्वर। धन को भोगने से अभिमान होता है। धन रखने और दाने करने से भी अभिमान ही पैदा होता है।’’

मैत्रेयी ने महर्षि को उत्तर दिया, ‘‘जिससे मुझे अमृत तत्व नहीं मिल सकता, वह वस्तुत मुझे स्वीकार नहीं।’’

Jyoti

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