क्या है वास्तविक पूजा, जानें सुभाषचंद्र बोस के इस प्रसंग से
Tuesday, Dec 21, 2021 - 02:28 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
उन दिनों बंगाल में भीषण बाढ़ आई हुई थी। समूचा जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया था। नेताजी सुभाषचंद्र बोस उस समय कालेज में पढ़ते थे। वे कुछ स्वयंसेवियों के साथ मिलकर बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत सामग्री इकट्ठा करने में जुट गए। वह दिन-रात इसमें लगे रहते और बहुत कम आराम करते। एक दिन उनके पिता बोले, ‘‘बेटा, क्या आज भी बाढ़ पीड़ितों की सेवा के लिए जा रहे हो?’’
सुभाष बोले, ‘‘मेरा जाना आवश्यक है। मुझसे लोगों का दर्द बर्दाश्त नहीं होता। ऐसे में इंसान ही तो इंसान की मदद करेगा न। अभी कुछ और करने का कोई अर्थ नहीं है।’’
पिताजी बोले, ‘‘बेटा, मैं तुम्हारी बात से पूरी तरह सहमत हूं। तुम मानव सेवा अवश्य करो लेकिन थोड़ा घर पर भी ध्यान दिया करो। अपने गांव में मां दुर्गा की पूजा का आयोजन किया जा रहा है।
वहां और लोगों के साथ तुम्हारा रहना भी जरूरी है, इसलिए तुम्हें मेरे साथ चलना होगा।’’
पिताजी की बात सुनकर सुभाष बोले, ‘‘क्षमा कीजिए पिताजी, मैं आपके साथ नहीं चल सकता। आप सब गांव जाकर दुर्गा मां की पूजा करें। मैं दीन-दुखियों की पूजा करूंगा। उनकी पूजा करके मुझे दुर्गा मां की पूजा का पुण्य मिल जाएगा।’’
बेटे की बात सुनकर पिता का सिर गर्व से ऊंचा हो गया। वह सुभाष को गले लगाते हुए बोले, ‘‘बेटा, सचमुच दुर्गा मां की वास्तविक पूजा तो तुम ही कर रहे हो।’’
इसके बाद वह उन्हें आशीर्वाद देकर अपने गांव के लिए चल पड़े।