धनतेरस 2019: यूं बन जाएंगे बिगड़े काम बस ये करना न भूलें
Tuesday, Oct 22, 2019 - 03:07 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
अपनी वेबसाइट के जरिए हम आपको धनतेरस व दिवाली से जुड़ी बहुत सी जानकारी दे चुके हैं। जैसे इस बार की धनतेरस कब है व इस दिन आपको क्या खरीदना चाहिए व क्या नहीं। इसके अलावा हमने आपको बताया कि इस पावन दिन किस विधि से भगवान धनवंतरि की पूजा करनी चाहिए। तो इस कड़ी को बरकरार रखते हुए आज हम आपको बताने वाले हैं कि धनतेरस के दिन की जाने वाली एक खास स्तुति के बारे में जिसका जाप करने से आपके सभी बिगड़े काम बन सकते हैं।
शास्त्रों में बताया गया है कि जो जातक इस दिन प्रत्येक देवी-देवता की तरह धनवंतरि देवता की पूजा के बाद भी आरती व स्तुति गान आवश्यक माना जाता है। परंतु बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें इनकी आरती या स्तुति का पता ही नहीं होगा। तो अगर आप भी उन्हीं लोगों में है इस बारे में नहीं पता। तो चलिए हम आपको बताते हैं।
मान्यता है कि धन्वंतरि देव की आरती करने से दरिद्रता का नाश होता है व सभी काम बनने लगते हैं। बता दें इस साल धनतेरस का पर्व 25 अक्टूबर यानि के दिन को शुक्रवार पड़ रहा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन धन-धान्य प्राप्ति की कामना से श्री कुबेर देव, मां लक्ष्मी एवं आरोग्य के देवता भगवान श्री धन्वंतरि की विशेष पूजा अर्चना करने के बाद निम्न आरती करनी चाहिए-
।। अथ श्री धन्वन्तरी स्तुति ।।
ॐ जय धन्वन्तरि देवा, स्वामी जय धन्वन्तरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा ॥
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥
धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।
स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐजय धन्वन्तरि जी देवा॥
॥इति आरती श्री धन्वन्तरि सम्पूर्णम॥