Devvrat Mahesh Rekhe: आध्यात्मिक जगत की नई मिसाल, देवव्रत महेश रेखे ने सिर्फ 50 दिनों में किया 2000 मंत्रों का पारायणम
punjabkesari.in Wednesday, Dec 03, 2025 - 02:11 PM (IST)
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Devvrat Mahesh Rekhe: उत्तर प्रदेश की आध्यात्मिक राजधानी काशी एक बार फिर देशभर में चर्चा का विषय बनी हुई है। सदियों से ज्ञान और विद्या की धरती मानी जाने वाली काशी में आज भी संस्कृत, वेद और शास्त्रों की परंपरा उतनी ही जीवंत है। इसी माहौल के बीच महाराष्ट्र के 19 वर्षीय देवव्रत महेश रेखे ने एक असाधारण आध्यात्मिक साधना पूरी कर सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। उनकी लगन और प्रतिभा से न केवल युवाओं को नई प्रेरणा मिली है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी उनकी इस उपलब्धि पर शुभकामनाएं दी हैं।
50 दिनों तक निरंतर वैदिक साधना
देवव्रत ने शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा के लगभग 2000 मंत्रों वाले कठिन ‘दंडकर्म पारायणम’ का अखंड पाठ 50 दिनों तक लगातार किया। यह साधना वाराणसी के रामघाट स्थित प्रसिद्ध सांग्वेद विद्यालय में संपन्न हुई, जिसका संचालन विद्वान पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ करते हैं। वही द्रविड़, जो 2024 लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के प्रस्तावक भी रहे थे।

विद्वानों ने बताई असाधारण उपलब्धि
अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुजारी रहे दिवंगत पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के परिवार ने भी देवव्रत के इस साधन-कार्य की खूब प्रशंसा की। उनका कहना है कि इतनी कम उम्र में इतनी कठिन और अनुशासित साधना कर पाना अत्यंत दुर्लभ है। यह देवव्रत की भारतीय परंपरा के प्रति गहरी निष्ठा को दर्शाता है।
नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा
देवव्रत की यह तपस्या केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि इस बात का प्रमाण भी है कि आधुनिक समय में भी वेद और संस्कृत की परंपरा उतनी ही मूल्यवान और आकर्षक बनी हुई है। काशी में वेद अध्ययन अब नए विद्यार्थियों और डिजिटल माध्यमों के कारण और तेज़ी से फैल रहा है, और देवव्रत जैसे युवा इस परंपरा को नई दिशा दे रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने दी शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर देवव्रत की इस सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए लिखा कि 19 वर्षीय युवक द्वारा इतनी कठिन साधना पूरी करना प्रेरणादायक है। उन्होंने कहा कि शुक्ल यजुर्वेद के 2000 मंत्रों का 50 दिनों तक अखंड और शुद्ध उच्चारण हमारी गुरु-शिष्य परंपरा की श्रेष्ठता को दर्शाता है। काशी के सांसद होने के नाते उन्होंने विशेष गर्व भी व्यक्त किया कि ऐसी अद्वितीय साधना काशी की पवित्र धरती पर पूरी हुई। देवव्रत महेश रेखे का यह संकल्प और समर्पण आज की पीढ़ी के लिए एक उज्ज्वल उदाहरण बनकर उभरा है, जो सनातन परंपरा की जीवंतता और महत्व को फिर से केंद्र में लाकर खड़ा करता है।

