देवशयनी एकादशी 2019ः कथा से जानें, इस व्रत की महिमा के बारे में

Friday, Jul 12, 2019 - 12:42 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
शास्त्रों के अनुसार एकादशी व्रत का पालन हर एक इंसान को करना चाहिए। कहते हैं कि जो लोग एकादशियों का व्रत रखते हैं, उन पर भगवान की कृपा हमेशा बनी रहती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु को एकादशी व्रत बहुत ही प्रिय है, इसलिए व्यक्ति को हर माह में पड़ने वाली दोनों पक्षों की एकादशी का पालन करना चाहिए। देवशयनी को हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस एकादशी पर ही भगवान 4 माह के लिए सो जाते हैं ओर इस दिन से ही चार्तुमास की शुरूआत हो जाती है। कहते हैं कि जो लोग चार्तुमास और एकादशी का पालन करता है, उसे अक्षय फल की प्राप्ति होती है। आगे जानते हैं इस पवित्र एकादशी की व्रत कथा के बारे में, जिसे पढ़ने से ही मनुष्य को मोक्ष मिल जाता है। 

देवशयनी एकादशी व्रत की कथा 
सतयुग में मान्धाता नामक एक सत्यवादी व महान प्रतापी सूर्यवंशी राजा थे। वह अपनी प्रजा का पालन अपनी संतान की भांति करते थे। उनकी प्रजा में सभी लोग सुखी एवं खुशहाल थे। लेकिन एक बार अचानक तीन वर्ष तक लगातार वर्षा न होने के कारण उनके राज्य में अकाल पड़ गया तथा यज्ञादि कार्य भी नहीं हुए। लोग अन्न के अभाव में कष्ट पाने लगे। प्रजा के दुख से दुखी राजा मान्धाता कुछ सेना साथ लेकर वन की तरफ चल पड़ा। वर्षा न होने के कारण का पता लगाने की इच्छा से वह अनेक ऋषियों के पास गया तथा अंत में ब्रह्मा जी के पुत्र अंगिरा ऋषि से मिला। राजा ने ऋषि अंगिरा को अपने राज्य में वर्षा न होने के बारे में बताते हुए तुरंत वर्षा होने का उपाय पूछा। 

ऋषि अंगिरा ने राजा को आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पदमा यानि हरिशयनी एकादशी, जिसे देवशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है और इस व्रत को विधिपूर्वक करने के लिए कहा। राजा ने सच्चे भाव से व्रत किया, जिसके प्रभाव से खूब वर्षा हुई तथा अन्न उपजने से सारी प्रजा सुखी हो गई। इस एकादशी के व्रत में यह कथा सुनने और सुनाने वाले सभी जीवों पर प्रभु की अपार कृपा सदा बनी रहती है। कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति किसी कारणवश व्रत नहीं कर पा रहा हो तो इस व्रत को सुनने से उसके पाप धूल जाते हैं।  

Lata

Advertising