देवशयनी एकादशी: कल करेंगे ये काम, तभी मिलेगा पूरा लाभ

punjabkesari.in Saturday, Jul 13, 2019 - 01:02 PM (IST)

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एकादशी के व्रत को समाप्त करने को पारण कहते हैं। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गई हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता है।

PunjabKesari Devshayani Ekadashi 2019

एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए। जो श्रद्धालु व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत तोडऩे से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि है। व्रत तोडऩे के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रात:काल होता है। व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्याह्न के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए। कुछ कारणों की वजह से अगर कोई प्रात:काल पारण करने में सक्षम नहीं है तो उसे मध्याह्न के बाद पारण करना चाहिए।

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कभी-कभी एकादशी व्रत लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है। जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब स्मार्त-परिवारजनों को पहले दिन एकादशी व्रत करना चाहिए। दूसरे दिन वाली एकादशी को दूजी एकादशी कहते हैं। संन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं को दूजी एकादशी के दिन व्रत करना चाहिए। जब-जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब-तब दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी एक ही दिन होती हैं।

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चातुर्मास असल में संन्यासियों द्वारा समाज को मार्गदर्शन करने का समय है। आम आदमी इन चार महीनों में अगर केवल सत्य ही बोले तो भी उसे अपने अंदर आध्यात्मिक प्रकाश नजर आएगा।

13 जुलाई को  पारण (व्रत तोड़ने का) समय = 06.30 से 08.19
पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय = 06.30


 


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Niyati Bhandari

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