देवशयनी एकादशी या चातुर्मास करने वाले ये जरुर पढ़ें

Thursday, Jul 11, 2019 - 12:41 PM (IST)

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आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे पद्मा एकादशी भी कहते हैं। देवशयनी एकादशी प्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा के तुरन्त बाद आती है। इस वर्ष देवशयनी एकादशी 12 जुलाई 2019 के दिन मनाई जानी है। इसी दिन से चातुर्मास का आरंभ भी माना गया है। देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी और पद्मनाभा के नाम से भी जाना जाता है । सभी उपवासों में देवशयनी एकादशी व्रत श्रेष्ठतम कहा गया है। इस व्रत को करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा सभी पापों का नाश होता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना करने का महत्व है। 

एकादशी तिथि प्रारंभ = 12 जुलाई 2019 को 01.02 बजे
एकादशी तिथि समाप्त = 13 जुलाई 2019 को 00.31 बजे

देवशयनी एकादशी व्रत की शुरूआत दशमी तिथि की रात्रि से ही हो जाती है। दशमी तिथि की रात्रि के भोजन में नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए। अगले दिन प्रात:काल उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प करें। भगवान विष्णु की प्रतिमा को आसन पर आसीन कर उनका षोडशोपचार सहित पूजन करना चाहिए। पंचामृत से स्नान करवाकर, तत्पश्चात भगवान की धूप, दीप, पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए। भगवान को ताम्बुल, पुंगीफल अर्पित करने के बाद मंत्र द्वारा स्तुति करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त शास्त्रों में व्रत के जो सामान्य नियम बताए गए हैं, उनका सख्ती से पालन करना चाहिए।

यह व्रत का उपवास व्यक्ति को अर्थ-काम से ऊपर उठकर मोक्ष और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।  

देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु का शयनकाल प्रारंभ हो जाता है इसीलिए इसे देवशयनी एकादशी कहते हैं। इस अवधि में श्रीहरि पाताल के राजा बलि के यहां चार मास निवास करते हैं। देवशयनी एकादशी के चार माह के बाद भगवान विष्णु प्रबोधिनी एकादशी के दिन जागते हैं।

Niyati Bhandari

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