Devraha Baba death anniversary: जानें, कौन थे देवरहा बाबा जिनके भक्तों में नामचीन हस्तियां भी थी शामिल

Monday, Jun 19, 2023 - 12:34 PM (IST)

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Devraha Baba death anniversary: महर्षि, योगी दिव्य संत ब्रह्मलीन देवरहा बाबा को शरीर छोड़े 33 वर्ष हो गए लेकिन उनकी कही हुई बातें आज भी भक्तों में सच साबित हो रही हैं। सामान्य श्रेणी के भक्तों से लेकर ओहदे वाले भक्तों तक उनका सदैव एक समान परस्पर आशीर्वाद रहता था। वह अपना पैर भक्तों के सिर पर रखकर ही आशीर्वाद देते थे और सभी को बताशे वाला प्रसाद देते थे।

यू.पी. के देवरिया जिले में आश्रम बनाने वाले देवरहा बाबा ने सरयू नदी के तट पर शहर से 3 कि.मी. दूर स्थित लकड़ी के लॉग से बने एक ऊंचे मंच, मचान के ऊपर रहना शुरू कर दिया। यह स्थान देवरिया जिले के चिलमा बाजार के पास था, इस प्रकार स्थानीय लोग उन्हें देवरहा बाबा कहने लगे। बाबा संतों या वृद्धों के लिए एक सम्माननीय शब्द थे। तत्पश्चात वे वृंदावन चले गए, जहां वे अपने शेष वर्षों के लिए यमुना नदी के तट पर एक मचान के ऊपर रहते थे। उन्होंने भारत में कई स्थानों का दौरा किया और विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से जाने जाते थे।

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Renowned celebrities are also included in Baba's devotees बाबा के भक्तों में नामचीन हस्तियां भी शामिल
देवरहा बाबा के दर्शन के लिए देश-विदेश के कोने-कोने से लोग पहुंचते थे, लेकिन कई नामी हस्तियां भी बाबा के दर्शन के लिए आती थीं। उन्हें एक कंगाल से लेकर सबसे शक्तिशाली तक और जाति व समुदाय के संकीर्ण दायरे से ऊपर सभी के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शक माना जाता था। आम चुनावों के समय उनका आशीर्वाद लेने के लिए इंदिरा गांधी, बूटा सिंह और राजीव गांधी सहित राजनेता आते थे।

इनके अलावा बाबा के भक्तों में देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, पूर्व राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद, महामना मदन मोहन मालवीय, पुरुषोत्तम दास टंडन, पूर्व राज्यपाल कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी, पूर्व मुख्यमंत्री संपूर्णानंद जैसे नामचीन लोग शामिल रहे हैं।

Ram temple movement राम मंदिर आंदोलन
1984 में आयोजित जिस धर्म संसद में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर आंदोलन चलाने का फैसला किया गया, उसमें देवरहा बाबा भी शामिल थे।

Baba considered public service and cow service paramount जनसेवा और गौ सेवा को सर्वोपरि मानते थे बाबा
बाबा देवरहा भगवान श्री राम के भक्त थे और श्री कृष्ण को भी श्रीराम के समान मानते थे लेकिन इसके अलावा वह गौसेवा व जनसेवा को भी सर्वोपरि मानते थे। बाबा ने अंतिम सांस 19 जून, 1990 को ली जो योगिनी एकादशी का दिन था।

Niyati Bhandari

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