आज इन मंत्रों से करें देवी मां की आराधना, विद्या-वाणी में मिलेगा शुभ परिणाम

Thursday, Oct 22, 2020 - 12:06 PM (IST)

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आज यानि 22 अक्टूबर दिन गुरुरवार को सरस्वती पूजन श्रेष्ठ रहेहा। धार्मिक मान्यताएं हैं देवी सरस्वती की पूजा से जातक को विद्या, वाणी आदि में प्रसिद्धि प्राप्त होती है। तो वहीं ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि इनकी पूजा का फल तभी मिलता है अगर पूजन का सही तरीका और विधि पता हो। चूंकि आज इनका पूजन श्रेष्ठ माना जा रहा है। इसलिए आज हम आपको इनके पूजन में उपयोग होने वाले कुछ ऐसे ही मंत्रों के बारे में बताने वाले हैं, जिनका जाप करने से अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते है।

प्रत्येक व्यक्ति के लिए ये जानना आवश्यक होता है कि देवी सरस्वती की पूजा प्रक्रिया में सर्वप्रथम आचमन, प्राणयामादि के द्वारा अपनी शुचिता संपन्न करनी चाहिए, उसके बाद सरस्वती पूजन का संकल्प लेना चाहिए। 

इस दौरान देशकाल आदि का संकीर्तन करते हुए अंत में 'यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः भगवत्याः सरस्वत्याः पूजनमहं करिष्ये।' पढ़कर संकल्प जल छोड़ दें। 

इसके बाद पूजा करके कलश स्थापित कर उसमें देवी सरस्वती का आह्वान करके वैदिक या पौराणिक मंत्रों का उच्चारण करते हुए उपचार सामग्रियां भगवती को सादर समर्पित करें।
 
मां सरस्वती का अष्टाक्षर मंत्र-
'श्री ह्यीं सरस्वत्यै स्वाहा'

इस अष्टाक्षर मंत्र से प्रत्येक वस्तु क्रमशः देवी को अर्पित करें। अंत में देवी सरस्वती की आरती करके उनकी स्तुति गाएं। ज्योतिषी बताते हैं कि भगवती को निवेदित गंध पुष्प मिष्ठान का प्रसाद ज़रूर भेंट करना चाहिए। 

कहा जाता है देवी भागवत एवं ब्रह्मवैवर्तपुराण में वर्णन आख्यान में पूर्वकाल में श्रीमन् नारायण भगवान ने वाल्मीकि को देवी सरस्वती का मंत्र बतलाया था, मान्यता है इसके जप से उनमें कवित्व शक्ति उत्पन्न हुई थी। 

 ये है वह अष्टाक्षर मंत्र इस प्रकार है- 

'श्रीं ह्वीं सरस्वत्यै स्वाहा।'

मान्यता है इस मंत्र का 4 लाख जप करने से मंत्र सिद्धि होती है। 

'अं वाग्वादिनि वद वद स्वाहा।'

यह सबीज दशाक्षर मंत्र सर्वार्थसिद्धिप्रद तथा सर्वविद्याप्रदायक कहा गया है।

'ॐ ऐं ह्वीं श्रीं क्लीं सरस्वत्यै बुधजनन्यै स्वाहा।'
 
 

Jyoti

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