बलि देने का है यहां अनोखा अंदाज़, मार कर नहीं बल्कि यूं दी जाती है बकरे की बलि

punjabkesari.in Saturday, May 16, 2020 - 05:37 PM (IST)

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रहस्मयी व चमत्कारी मंदिर तथा धार्मिक स्थल की बात हो तो सबसे पहला नाम शायद भारत का ही आता है। यहां ऐसे कई तमाम तीर्थ तो हैं ही साथ ही साथ ऐसे कई प्राचीन मंदिर आदि भी जिनसे जुड़ा रहस्य व मान्यताएं उनको देश के साथ-साथ विदेशों में प्रसिद्धि दिला रहे हैं। ऐसे ही एक मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जो मुंडेश्वरी देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। बता दें देवी मां का ये अद्भुत मंदिर बिहार के हैं बिहार के कैमूर जिले के कौरा क्षेत्र में स्थित है। इस मंदिर से जुड़ी जो मान्यता प्रचलित है कि उसके अनुसार यहां मांगी हर कोई भी मन्नत कभी खाली नहीं जाती है। तो वहीं इस मंदिर से जुड़ी एक खास बात ये भी है कि यहां बकरे की बलि मां को भेंट तो की जाती है मगर हैरान करने वाली बात तो ये है कि बकरा मरता नहीं बल्कि कुछ समय बाद पुन: जिंदा हो जाता है। जी हां, आप सुनकर थोड़ी हैरानी होगी मगर ये सच है। आइए विस्तारपूर्वक जानें इस मंदिर के बारे में-PunjabKesari, Devi Mundeshwari Tempe, Devi Mundeshwari,Devi Mundeshwari Tempe Bihar, मुंडेश्वरी देवी मंदिर, मुंडेश्वरी देवी बिहार, Dharmik Sthal, Religious Place in India, Hindu Teerth Sthal
बताया जाता है मुंडेश्वरी देवी मंदिर में मौज़ूद एक शिलालेख के अनुसार इस मंदिर का अस्तित्व 635 ई. में भी था। तो वहीं कहा जाता है इस मंदिर में स्थापित भगवान विष्णु की प्रतिमा 7वीं शताब्दी से पहले गायब या चोरी हो गई थी। जिसके बाद शैव धर्म का महत्व बढ़ता चला गया और साथ ही विनीतेश्वर जी, मंदिर के इष्टदेव के रूप में माने जाने लगे।

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मंदिर की अनूठी परंपरा-
यहां आने वाले लोग बताते हैं कि इस मंदिर में जिस बकरे की बलि चढ़ाई जाती है, उसकी जान नहीं ली जाती। दरअसल होता यूं है कि बलि चढ़ाते समय माता की मूर्ति के सामने ही पुजारी चावल के कुछ दाने मूर्ति को स्पर्श करवाने के बाद बकरे के उपर फेंकता है। जिसके बाद ऐसा प्रतीत होता है मानो बकरा बेहोश सा हो गया हो जैसे उस में प्राण ही न बचे हों। परंतु कुछ ही समय के बाद फिर इसी प्रकार जब दोबारा बकरे पर चावल फेंके जाते हैं व बकरा उठ जाता है। मान्यता है कि बलि चढ़ाने की इस क्रिया के पूरे होने के बाद बकरे को छोड़ दिया जाता है।

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मंदिर के नाम से जुड़ा रहस्य
कहा जाता है इस मंदिर का मार्केण्डेय पुराण के साथ भी संबंध है। इसके अनुसार मां दुर्गा चंड व मुंड नामक राक्षसों का वध करने के लिए इसी स्थान पर प्रकट हुई थी।


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Jyoti

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