हर साल यहां मक्खन में विराजती है मां !

Thursday, Jan 24, 2019 - 05:15 PM (IST)

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हिंदू धर्म में शक्तिपीठों का बड़ा महत्व है क्योंकि ये शक्तिपीठ देवी सती के अंग से बने हैं। इस संदर्भ में एक कथा के अनुसार जब सती माता के हवन में कूद जाने से भगवन शंकर बहुत क्रोधित और दुखी हो गए थे, तो वे उन्हें अपने हाथों में लेकर भ्रमण करने लगे। तब भगवान विष्णु ने उन्हें शांत करने के लिए सती माता के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से काट दिया। जिसके बाद जहां-जहां उनके शरीर के टुकड़े गिरते चले गए वहां शक्तिपीठों का निर्माण होता चला गया। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भारत में कुल 51 शक्तिपीठ हैं। इन सभी शक्तिपीठों का अपना-अपना अलग महत्व है। बता दें इस शक्तिपीठों में देवी पिंडी के रूप में स्थापित हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो देवी सती के शक्तिपीठों में से एक हैं और इसकी सबसे खास बात ये है कि यहां पर हाल ही में मक्खन से बनी देवी की मूर्ति स्थापित की गई है।
आइए विस्तार से जानते हैं इस मंदिर के बारे में-

हम बात कर रहे हैं कि हिमाचल के कांगड़ा देवी मंदिर की, जिसे ब्रजश्वरी देवी मंदिर और नगर कोट के नाम से भा जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर देवी सती का बायां वक्षस्थल गिरा था, जो अभी पिंडी के रूप में यहां विराजित हैं। ये मंदिर न केवल यहां के लोगों की आस्था का केंद्र है बल्कि दूर-दूर से यहां इस मंदिर के स्थापित देवी के स्वरूप की पूजा करने आते हैं। बता दें कि आम मंदिरों की तरह यहां 3 नहीं बल्कि 5 बार आरती होती है। जिसमें सबसे खास होती है रात में की जाने वाली मंगला आरती।
वैसे तो ये मंदिर पहले से देशभर में बहुत प्रसिद्ध हैं लेकिन हाल ही में मंदिर से संबंधित एक ऐसी बात सामने आई है जिसके कारण ये मंदिर सुर्खियों में बना हुआ है। जी हां, हाल ही हिमाचल के कांगड़ा देवी मंदिर में मंदिर के पुजारियों ने माता ब्रजेश्वरी देवी की मूर्ति का गंगा जल से शुद्धिकरण करके मूर्ति को 'देसी घी' से तैयार किया है। जिसे 14 जनवरी 2019 को दर्शन के लिए सुबह से खोला गया।

बता दें कि हिमाचल प्रदेश के इस प्रसिद्ध मंदिर में 13 जनवरी 2019 यानि सोमवार को 2,500 किलोग्राम मक्खन से बनी ब्रजेश्वरी देवी की प्रतिमा को विराजित किया गया है।
उत्तर भारत के सबसे व्यस्त तीर्थस्थलों में से एक ब्रजेश्वरी देवी मंदिर में पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के तीर्थयात्री बड़ी संख्या में आते हैं। बताया जा रहा है कि मूर्ति को 20 जनवरी को देवी की 'पिंडी' से हटा दिया जाएगा। पौराणिक मान्यताओं की मानें तो मक्खन पुरानी त्वचा की बीमारियों और जोड़ों के दर्द को ठीक करता है।
 

इस संदर्भ में एक किंवदंती प्रचलित है कि जब देवी राक्षसों से लड़ाई के दौरान घायल हो गई थीं, तो मकर संक्रांति पर देवताओं ने उनके पर मक्खन लगाया था जिससे उनके घाव जल्दी ठीक हो गए थे। इसलिए हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर मक्खन की मूर्ति स्थापित करने की तैयारी शुरू हो जाती है। बता दें कि मंदिर में इस मूर्ति स्थापना का उत्सव पूरे एक हफ्ता भर चलता है।

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Jyoti

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