इस देव दिवाली आप भी करें ये काम, हो जाएंगे धनवान

Sunday, Nov 29, 2020 - 03:31 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सनातन धर्म में लगभग हर पर्व व त्यौहार को लेकर विभिन्न प्रकार के उपायों के साथ-साथ नियम आदि दिए गए हैं। कहा जाता इन नियमों को अपनाते हुए पर्व दिवस को मनाया जाता है तो उस किए कार्यों को फल दोगुना मिलता है। 30 नवंबर, दिन सोमवार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन वाराणासी के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों में देव दिवाली का पर्व मनाया जाएगा। इससे संबंधित बहुत से जानकारी हम आपको अपने वेबसाइट के माध्यम से दे चुके हैं। इसी बीच अब आपको बताने वाले हैं कि देव दिवाली से जुड़े वो नियम जिनका वर्णन सनातन धर्म के शास्त्रों आदि में किया गया है। कहा जाता जो भी जाता इन नियमों का पालन करता है, उसे दिन का संपूर्ण फल प्राप्त होता है। तो चलिए ज़रा सी भी देर न करते हुए आपको बताते हैं देव दिवाली से जुड़े विशेष नियम आदि- 

धार्मिक मान्यताएं हैं कार्तिक मास में उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राईं आदि खाना निषेध होता है। इसके अलावा इस पूरे मास में लहसुन, प्याज और मांसाहार का सेवन भी नहीं करना वर्जित होता है। तो वहीं इस मास में आने वाली नरक चतुर्दशी के दिन को छोड़ कर तेल लगाने आदि की भी मनाई होता है। जिसका सीधा सीधा मतलब हुआ ये होता है कि कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन भी इन तमाम कामों को करना अच्छा नहीं होता। इसके अलावा इस दिन शराब आदि जैसे नशे से भी दूर रहना चाहिए। कहा जाता है इन कामों को करने से व्यक्ति के शरीर पर ही नहीं, बल्कि आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम पड़ते हैं। 
धार्मिक किंवदंतियों के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को पूरे कार्तिक मास या खासतौर पर अपने इंद्रियों को काबू में रखते हुए ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। कहा जाता है जो जातक इसका पालन नहीं करता, उसके अशुभ फलों की प्राप्ति होता है। इंद्रियों पर काबू पाने के लिए व्यक्ति को कम बोलना, किसी की भी निंदा न करना, मन पर संयम रखना, खाने के प्रति आसक्ति न रखना, तथा न अधिक सोना चाहिए, न ही बेमतलब देर रात तक जागना चाहिए। बल्कि कार्तिक मास में संभव हो तो भूमि पर षयन करना चाहिए। कहा जाता है इससे मन में सात्विकता का भाव निर्मित होता है तथा सभी तचरह के रोगों व विकारों से राहत मिलती है। 

कार्तिक पूर्णिमा के दिन खास तौर पर पावन तीर्थों की, गंगा घाटों पर मां गंगा की, लक्ष्मी जी पूजा के साथ-साथ कई तरह के हवन यज्ञ आदि संपन्न किए जाते हैं। ऐसा कहा जाता है इस मास में तथा कार्तिक पूर्णिमा के दिन किए गए ऐसे धार्मिक कार्यों को करने से जातक को अनंत फल प्राप्त होता है। साथ ही साथ इस दिन व्रत रखने से, श्री सत्यानारायण कथा का श्रवण करने से भी शुभ फलों की प्राप्ति होती है। 

मुख्य रूप से बात करें तो प्रत्येक पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा की पूजा की जाती है। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय शिवा, सम्भूति, प्रीति, संतति अनसूया और क्षमा इन छः तपस्विनी कृतिकाओं का पूजन करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है ये भगवान कार्तिक की माता हैं और कार्तिकेय, खड्गी, वरुण हुताशन और सशूक ये सायंकाल में द्वार के ऊपर शोभित करने योग्य हैं। जिनका विधिवत पूजन करने से शौर्य, बल, धैर्य आदि गुणों में वृद्धि के साथ-साथ धन धान्य में भी वृद्धि होती है। 

Jyoti

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