Death Anniversary Of Hemu Kalan: आज है स्वतंत्रता संग्राम के युवा बलिदानी हेमू कालानी की पुण्यतिथि, पढ़े उनके जीवन की दास्तां

punjabkesari.in Sunday, Jan 21, 2024 - 02:12 PM (IST)

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Death Anniversary Of Hemu Kalani: भारत के स्वतंत्रता संग्राम के वीर सपूतों में अमर शहीद हेमू कालाणी का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है क्योंकि उन्हें बहुत ही कम उम्र, मात्र 19 वर्ष की आयु में 21 जनवरी, 1943 को क्रूर अंग्रेजी शासन द्वारा फांसी दे दी गई थी। वंदे मातरम् का उद्घोष करते हुए हेमू कालाणी फांसी के फंदे की ओर बढ़ते हुए कह रहे थे, ‘‘मुझे गर्व है कि मैं भारत भूमि से ब्रिटिश साम्राज्य समाप्त करने हेतु अपने तुच्छ जीवन को भारत माता के चरणों में भेंट कर रहा हूं।’’

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वह देश के लिए शहीद होने वाले सबसे कम उम्र के क्रांतिकारियों में से एक थे। उनका जन्म 23 मार्च, 1923 को सिंध प्रांत के सक्खर जिले में सवचार नामक स्थान (अब पाकिस्तान) पर सिंधी जैन परिवार में श्री पेसूमल जी कालाणी एवं माता श्रीमती जेठी बाई कालाणी के घर हुआ था। बचपन में ही हेमू कालाणी ‘स्वराज्य सेना’ नामक छात्र संगठन में सम्मिलित होकर इस संगठन के नेता बन गए थे। वह केवल 7 वर्ष की आयु में ही तिरंगा झंडा लेकर उसे लहराते हुए अंग्रेजों की बस्ती में अपने साथियों के साथ क्रांतिकारी गतिविधियों का नेतृत्व करते थे।

अंग्रेजों द्वारा भारतीयों पर किए जा रहे अत्याचारों के खिलाफ 1942 में ‘करो या मरो’, ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ के नारों में एक आवाज हेमू कालाणी की भी थी।

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हेमू कालाणी को जानकारी मिली कि आंदोलनकारियों को कुचलने के लिए रोहड़ी (सिंध) से अंग्रेज सैनिकों एवं हथियारों से भरी एक विशेष रेलगाड़ी सक्खर से होकर बलूचिस्तान की ओर जाने वाली है। यह सुनकर हेमू और उनके साथी रेल ट्रैक पर रेल की पटरी के नट बोल्ट खोलने लगे, परंतु हेमू कालाणी पर अंग्रेज सिपाहियों की नजर पड़ गई और उन्हें पकड़ कर जेल भेज दिया गया।

पकड़े जाने व घोर यातनाओं को सहन करने के बाद भी उन्होंने अंग्रेजों को नहीं बताया कि पटरियों के नट बोल्ट खोलने में उनके और कौन-कौन साथी थे। हेमू कालाणी के हौसले एवं उसकी देशभक्ति के आगे हार कर अंग्रेजों द्वारा 21 जनवरी, 1943 को प्रात: सक्खर (सिंध) के केंद्रीय कारागार में हेमू कालाणी को फांसी पर चढ़ा दिया गया।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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