कल इस विधि से करें भैरव जी के चित्र का पूजन, शत्रुता होगी समाप्त

Friday, Dec 22, 2017 - 12:49 PM (IST)

कल शनिवार दि॰ 23.12.17 को पौष शुक्ल पंचमी व धनिष्ठा नक्षत्र के मेल से दंडपाणि भैरव का पूजन श्रेष्ठ रहेगा। स्कन्दपुराण के काशी खंड अनुसार यक्ष पूर्णाभद्र व उसकी पत्नी कनाका कुंडल ने संतान प्राप्ति हेतु शिव तपस्या की। महादेव की कृपा से उन्हें हरीकेश नामक सुंदर पुत्र प्राप्त हुआ। परम शिव भक्त हरिकेश अन्न त्यागकर शिव भक्ति में लीन था। महादेव के काशी आगमन पर हरीकेश उनके दर्शन हेतु काशी पहुंचा। महादेव ने दुर्बल हरिकेश को देखते हुए उसे छूकर आशीर्वाद दिया। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर महादेव ने हरीकेश को सोंटा देकर दंडपाणी घोषित कर भैरव की उपाधि प्रदान की। महादेव ने सम्प्राप व उत्तराम नामक दो शिव गणों को यक्ष हरीकेश का रक्षक बनाया। महादेव ने हरीकेश को यक्षराज पद प्रदान कर वरदान दिया जो काशी में भैरव दंडपाणी का पूजन नहीं करेंगे उन्हें मुक्ति नहीं मिलेगी। दण्डपाणि भैरव को दोषियों को दण्डित करने का भी अधिकार प्राप्त है। दण्डपाणि भैरव के विशेष पूजन व उपाय से जीवन बाधा मुक्त बनता हैं, शत्रुता समाप्त होती है व आपदा का निवारण होता है।


विशेष पूजन विधि: भैरव के चित्र का विधिवत पूजन करें। सरसों के तेल का दीप करें, लोहबान की धूप करें, काजल चढ़ाएं। नीले फूल चढ़ाएं, रेवड़ियों का भोग लगाएं तथा किसी माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। पूजन के बाद भोग प्रसाद रूप में वितरित करें। 


पूजन मुहूर्त: प्रातः 08:45 से प्रातः 09:45 तक है।


पूजन मंत्र: ह्रीं नील वर्णों दण्ड पाणि: भैरव नमः॥


उपाय
आपदा के निवारण हेतु लौंग लगा लड्डू भैरव जी को अर्पित करें।


बाधा मुक्त जीवन हेतु भैरव जी पर चढ़े कालीमिर्च के 6 दाने जलप्रवाह करें।


शत्रुता समाप्त करने हेतु भैरव जी पर चड़ी राई के दाने कर्पूर से जला दें।


आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com


 

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