Dal Lake: हजरतबल तीर्थस्थल के दर्शन करे बिना श्रद्धालुओं की यात्रा अधूरी रह जाती है

Tuesday, Feb 21, 2023 - 10:35 AM (IST)

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Dal Lake: डल झील जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर शहर में स्थित है जो 17 कि.मी. क्षेत्र में फैली हुई है। तीन दिशाओं से पहाड़ियो से घिरी डल झील जम्मू-कश्मीर की दूसरी सबसे बड़ी झील है। पांच मील लम्बी और अढ़ाई मील चौड़ी यह झील श्रीनगर की ही नहीं, बल्कि पूरे भारत की सबसे खूबसूरत झीलों में से एक है। मुख्य रूप से इस झील में मछली पकड़ने का काम होता है। डल झील में स्रोतों से तो जल आता ही है, कश्मीर घाटी की अनेक झीलें भी आकर इसमें जुड़ती हैं। झील के चार जलाशय हैं गगरीबल, लोकुट डल, बोड डल तथा नागिन। इसके अलावा लोकुट डल के मध्य में रूप लंक द्वीप स्थित है तथा बोड डल जलधारा के मध्य में सोना लंक स्थित है, जो इस झील की खूबसूरती को और अधिक बढ़ाते हैं। वनस्पति डल झील की खूबसूरती को और निखार देती है। कमल के फूल, पानी में बहती कुमुदनी, झील की सुंदरता में चार चांद लगा देती है।



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प्रमुख आकर्षण
डल झील का प्रमुख आकर्षण तैरते हुए बगीचे हैं। डल झील के पास ही मुगलकालीन सुंदर एवं प्रसिद्ध पुष्प वाटिका से डल झील की खूबसूरती और उभर कर सामने आती है। प्रसिद्ध कश्मीर विश्वविद्यालय झील के तट पर स्थित है। शिकारे के माध्यम से सैलानी नेहरू पार्क, कानुटुर खाना, चारचिनारी व कुछ द्वीप, जो यहां पर स्थित हैं, को देख सकते हैं।

हजरतबल दरगाह
हजरतबल तीर्थस्थल के दर्शन करे बिना श्रद्धालुओं की यात्रा अधूरी रह जाती है। शिकारे के माध्यम से श्रद्धालु इस तीर्थस्थल के दर्शन कर सकते हैं। डल झील के आस-पास की प्राकृतिक सुंदरता अधिक संख्या में लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। पर्यटक जम्मू-कश्मीर आएं और डल झील देखने न जाएं, ऐसा हो ही नहीं सकता। सैलानियों के लिए विभिन्न प्रकार के मनोरंजन के साधन यहां पर उपलब्ध हैं, जैसे कि कायाकिंग (एक प्रकार का नौका विहार), कैनोइंग (डोंगी), पानी पर सर्फिंग करना तथा ऐंगलिंग (मछली पकड़ना)।

दुनिया भर में यह झील विशेष रूप से शिकारों या हाऊसबोट्स के लिए जानी जाती है जो इस झील के मुख्य आकर्षण का केन्द्र हैं। सैलानी इन हाऊसबोट्स में रहकर इस खूबसूरत झील की खूबसूरती और खुशगवार मौसम का आनंद उठा सकते हैं। कैमरे के माध्यम से पर्यटक यहां की खूबसूरती को कैद कर सकते हैं, तो हरियाली के बीच निवास स्थान हैं, जिनकी विशेषता यह है कि उनके छप्पर नीचे की ओर झुके हुए हैं। क्या आपने कभी जलाशय में शिकारे में बैठ कर शॉपिंग की है ? आप शिकारे पर सवार होकर विभिन्न प्रकार की वस्तुएं खरीद सकते हैं और दुकानें भी शिकारों पर ही लगी होती हैं। यह मात्र खरीददारी तक ही सीमित नहीं है, परन्तु एक रोमांचित कर देने वाला खेल भी होगा।



दो दिवसीय फैस्टिवल में निखरेंगे डल झील के शिकारे व हाऊसबोट
पिछले महीने ‘केसर महोत्सव’ को भुनाने वाले पर्यटन विभाग ने अब डल झील में 2 दिवसीय फैस्टिवल को भुनाने की तैयारी आरंभ की है, जिसके तहत वह डल झील में तैरते शिकारों और हाऊसबोटों की खूबसूरती से दुनियाभर को अवगत करवाना चाहता है। इसके लिए टूरिस्टों को पिछले सप्ताह से ही न्यौता दिया जा रहा है। टैग लाइन है ‘सर्दियों में भी कश्मीर खुला रहेगा’।

हालांकि, पिछली बार भी डल झील में दिसम्बर के पहले सप्ताह में ऐसे समारोह का आयोजन किया गया था, पर तब उसकी चमक-दमक को कोरोना की परिस्थितियां लील गई थीं, जिस कारण उसमें कुछ खास संख्या में पर्यटक नहीं आ पाए थे। पर इस बार टूरिज्म विभाग को हजारों की संख्या में पर्यटकों के शिरकत करने की उम्मीद इसलिए है क्योंकि इस साल कश्मीर आने वाले पर्यटकों की संख्या के कारण पर्यटन विभाग के साथ ही पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों के पांव जमीन पर नहीं टिक पा रहे हैं।
कश्मीर संभाग के पर्यटन विभाग के डिप्टी डायरैक्टर डॉ. दिबाह खालिद के अनुसार, ‘‘इस बार होने जा रहे दो दिवसीय समारोह का मुख्य आकर्षण और थीम झील में तैरते शिकारे और हाऊसबोटें होंगीं।’’

उनका कहना है कि शिकारे और हाऊसबोट्स वैसे भी दुनियाभर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र तभी से हैं, जब से यह डल झील में उतरे हैं। इस दो दिवसीय समारोह में पर्यटकों को सिर्फ शिकारे और हाऊसबोट्स ही नहीं दिखेंगे, बल्कि उनके लिए कश्मीरी फूड की भी व्यवस्था की जा रही है, जिसमें वाजवान और हरिसा के अतिरिक्त वे पकवान भी होंगें, जिनका स्वाद अगर कोई एक बार चख लेता है तो वह उसका दीवाना हो जाता है।

डल झील में है दुनिया का एकमात्र तैरता हुआ पोस्ट ऑफिस
डल झील में हाऊसबोट में ठहरने वाले पर्यटकों और स्थानीय लोगों को कश्मीर से बाहर किसी सामान को भेजने के लिए अब झील से बाहर आने की जरूरत नहीं है। शिकारा चलाते हुए डाकिया खुद उनके पास आता है और पार्सल लेकर गंतव्य तक पहुंचाने का प्रबंध करता है। यह देश में अपनी तरह की पहली शिकारा डाक और पार्सल सेवा है।



डल झील के निवासियों द्वारा परंपरागत रूप से इस्तेमाल की जाने वाली नौका, जिसमें वह सैलानियों को भी सैर कराते हैं, को शिकारा कहा जाता है। उल्लेखनीय है कि डल झील में अपनी तरह का इकलौता एक तैरता डाकघर भी है। यह डाकघर एक हाऊसबोट में स्थित है और यह कश्मीर आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का एक केंद्र भी है।

डाक विभाग श्रीनगर के प्रवक्ता के अनुसार शिकारा डाक एवं पार्सल सेवा डल झील में स्थित व्यापारियों, हाऊसबोट मालिकों और डल झील में हाऊसबोट में ठहरने वाले पर्यटकों को ध्यान में रखते हुए शुरू की गई है।

शिकारे का इस्तेमाल
कश्मीर आने वाले विदेशी पर्यटक आज भी पोस्टकार्ड अपने परिचितों को भेजते हैं और वे भी इस सेवा का लाभ ले सकते हैं। शुरू में एक ही शिकारा इस काम में इस्तेमाल किया जाएगा। इसके बाद अगर इस सेवा को लेकर लोगों का रुझान बढ़ता है तो शिकारों और डाकियों की संख्या और ज्यादा बढ़ाई जाएगी। प्रवक्ता के अनुसार पहले भी झील में हमारी एक शिकारा सेवा है, लेकिन वह सिर्फ पत्र और पार्सल बांटने तक सीमित थी, पहली बार पत्र और पार्सल प्राप्त करने के लिए शिकारा सेवा शुरू की गई है।

 

 

Niyati Bhandari

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