Kundli Tv- तो क्या यहां भगवान शंकर ने काटा दक्ष का सिर

Friday, Nov 23, 2018 - 05:11 PM (IST)

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भारत देश में इतने मंदिर हैं जिनकी गिनती करना कोई आसान काम नहीं है। फिर भी समय-समय पर हम आपको कई ऐतिहासिक मंदिरों के बारे में जानकारी प्रदान करते रहते हैं। हमेशा की तरह आज भी हम आपको एक एेसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे जुड़ी पौराणिक कथा तो शायद आप सब ने सुनी ही होगी। परंतु इस मंदिर के निर्माण के पीछे की दास्तान शायद ही कोई जानता होगा। आइए जानते हैं इस तीर्थ स्थल के बारे में-

हम बात कर रहे हैं दक्षेश्वर महादेव मंदिर के बारे में जो कि कनखल हरिद्वार उत्तराखंड में स्थित है। मान्यता के अनुसार ये वहीं मंदिर है जहां राजा दक्ष ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें सभी देवी-देवताओं, ऋषियों और संतों को तो आमंत्रित किया गया था परंतु भगवान शंकर को आमंत्रित नहीं किया गया था। 

माना जाता है कि दक्ष द्वारा शिव का अपमान सती सह न पाई और यज्ञ की अग्नि में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए। माना जाता है जब ये बात महादेव को पता लगी तो उन्होंने गुस्से में दक्ष का सिर काट दिया। देवताओं के अनुरोध पर भगवान शिव ने राजा दक्ष को जीवनदान दिया और उस पर बकरे का सिर लगा दिया। राजा दक्ष को अपनी गलतियों का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान शिव से क्षमा मांगी। तब भगवान शिव ने घोषणा की कि वे हर साल सावन के महीने में भगवान शिव कनखल में निवास करेंगे।
 
यही कारण है कि सावन के महीने यहां भक्तों की ज्यादा भीड़ उमड़ती है। दुनिया के सारे मंदिरों में शिव जी की शिंवलिंग के रूप में पूजा की जाती है। यही एक एेसा मंदिर है यहां  भगवान शंकर के साथ-साथ राजा दक्ष की धड़ के रूप में पूजा होती है। सावन के महीने जो कोई भी यहां जलाभिषेक करता है उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहा जाता है यहां भगवान साक्षात रूप में विराजमान हैं। 
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Jyoti

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