इस जन्म में न किया ये काम तो अगले जन्म में बनेंगे भिखारी !

Wednesday, Sep 25, 2019 - 08:22 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

कलियुग में दान प्रधान है। श्रुति में निर्देश है कि जो सिर्फ अपने लिए पका कर खाता है, वह अन्न नहीं खाता, पाप पका कर खाता है-केवलाघो भवति केवलादी। अत: अन्नदान को सर्वोपरि दान कहा गया है। कलियुग में धर्म केवल एक पैर अर्थात दान के ऊपर टिका हुआ है। ईमानदारी, परिश्रम तथा धर्मानुसार अर्जित धन-सम्पत्ति का दान ही पुण्यदायक होता है। लक्ष्मी माता हैं। उनका सत्कर्मों के लिए उपयोग तो किया जा सकता है, परन्तु सांसारिक सुख-सुविधाओं के लिए-व्यक्तिगत लाभ के लिए उनका उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। 

अर्थ अमृत है, पर असावधानी से वह जहर भी बन जाता है। जो नीति से आए और जिसका उपयोग रीति से हो, वह अर्थ अमृत है, पर अनीति से अर्जित धन जहर बन जाता है। यदि धर्म की मर्यादा न रहे तो धन अनर्थ करता है। धन साधन है, धर्म साध्य है। धन कमाना कठिन नहीं है, उसका धर्म-कार्यों, सेवा, सहायता, दान आदि में सदुपयोग करना कठिन है। धन का धार्मिक कर्तव्यों-दान, सेवा, गौसेवा- जैसे सत्कर्मों में सदुपयोग हो तो वह सुख देता है और विलासिता आदि दुष्कर्मों में उपभोग करने पर तरह-तरह के दुख देता है।

ज्ञानदान श्रेष्ठ दान है। अन्नदान और वस्त्रदान से कुछ समय के लिए शांति प्राप्त होती है, किन्तु ज्ञानदान अर्थात जहां अध्यात्मज्ञान का दान होता है, वहां सारे तीर्थ आ जाते हैं।

दान देने का अधिकार गृहस्थ को दिया गया है। दान में विवेक रखो। इतना दान दो कि गृहस्थ की पूर्ति में बाधा न पड़े।

दान से धन की शुद्धि, स्नान से तन की शुद्धि तथा ध्यान से मन की शुद्धि होती है।

जिसका धन शुद्ध नहीं, उसका दान तथा उसकी सहायता स्वीकार नहीं करनी चाहिए।

यदि सत्कर्मों में, धर्म में सम्पत्ति का सदुपयोग करोगे तो लक्ष्मी माता तुम्हें नारायण गोद में बिठाएंगी।

धन का दान करते रहने से धन के प्रति ममता कम होती है तथा तन से सेवा करने से देहाभिमान में कमी आती है।

दान देते समय जब तुम लेने वाले को परमात्मा का रूप समझकर दान दो तभी दान सफल-सार्थक होगा।

आंगन में आए याचक को यदि कुछ नहीं मिलता है तो वह घर का पुण्य ले जाता है। याचक मांगने नहीं आता, वह तो हमें ज्ञान देने आता है कि पूर्वजन्म में मैंने किसी को कुछ दिया नहीं, इसीलिए मैं भिखारी हूं। यदि आप भी किसी को कुछ न देंगे तो अगले जन्म में मेरे जैसे याचक बनेंगे।

Niyati Bhandari

Advertising