जानें, 550वां प्रकाश पर्व और करतारपुर कॉरिडोर का Connection

Sunday, Nov 10, 2019 - 02:09 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी प्रकाश पर्व यानि कि जन्मदिन इस साल 12 नवंबर दिन मंगलवार को मनाया जा रहा है। बता दें कि ये 550वां प्रकाश पर्व है, जिसकी धूम पूरे विश्व में देखने को मिल रही है। वैसे तो हर एक गुरुद्वार हर एक सिख के लिए अलग मायने रखता है। लेकिन करतारपुर गुरुद्वारा गुरु नानक देव जी ने ही बसाया था और यहीं पर गुरुनानक जी ने अपने जीवन के 17 साल बिताने के पश्चात प्राण त्याग दिए थे। इसी वजह से सिखों के लिए करतारपुर गुरुद्वारा काफी महत्त्वपूर्ण है। चलिए आगे जानते है कि करतारपुर गुरुद्वारा कैसे सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी के जीवन से जुड़ा है। 

पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित करतारपुर गुरुद्वारा गुरु नानक देव जी की समाधि पर बना हुआ है। कहा जाता है कि यहां गुरु नानक जी अपने जीवन के शुरुआती समय में खेती का काम किया करते थे। नानक जी ने यही से 'नाम जपो, किरत करो और वंड छको' अर्थात (नाम जपें, मेहनत करें और बांट कर खाएं) का सबक दिया था। इसके बाद में नानक जी ने यहां से ही पवित्र लंगर की शुरुआत की थी तब से कोई भी व्यक्ति करतारपुर से भूखे पेट वापस नहीं जाता है। यहां की ओर खास बात यह भी है कि यहां अपनी-अपनी श्रृद्धा के हिसाब से लंगर के लिए मुस्लिम भी चंदा देते हैं। 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सन 1985 में यहां जो बम गिरा था वह भी चमत्कारी शक्तियों के चलते फूटा नहीं था और उस बम को सेवाधारियों ने वहीं मढ़कर रख दिया था। करतारपुर गुरुद्वारे में सिखों ने गुरु नानक देव जी के पार्थिव शरीर के स्थान पर मिले फूलों की अंत्योष्टि हिंदू रीति-रिवाजों से की थी वहीं मुसलमानों ने फूलों को दफना दिया था तब से करतारपुर गुरुद्वारे में गुरु नानक देव जी की समाधि और क्रब दोनों हैं और आज के समय में करतारपुर गुरुद्वारा हर एक इंसान के लिए बहुत अधिक मायने रखता है। 

Lata

Advertising