शंख रखने से होता है ये बड़ा फायदा, क्या आप जानते हैं?

Tuesday, Sep 15, 2020 - 01:50 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
वास्तु शास्त्र में न केवल दिशाओं तथा विभिन्न प्रकार की ऊर्जाओं के ही बारे में बल्कि इसके घर के एक-एक कोने से संबंधित जानकारी दी गई है। जिसमें घर के आंगन से लेकर यहां स्थापित पूजा घर में शामिल है। इतना ही नहीं पूजा घर में इस्तेमाल होने वाली प्रत्येक वस्तु के बारे में बाखूबी वर्णन किया गया है कि उनका घर के सदस्यों पर कैसा प्रभाव पड़ता है। आज हम आपको बताएंगे पूजा घर में इस्तेमाल होने वाली सबसे ज़रूरी वस्तु के बारे में। धार्मिक मान्यताएं हैं कि सनातन धर्म में होने वाले किसी अनुष्ठाना यहां तक कि रोज़ाना होने वाली पूजा में अगर इसका इस्तेमाल न किया जाए तो पूजा अधूरी मानी जाती है। आपको बता दें हम बात कर रहे हैं प्रत्येक धार्मिक कार्य में अपनी ध्वनि से सबको शुद्ध व शांत करने वाले शंख की। आप में से बहुत से लोगों ने देखा होगा कि कोई भी मांगलिक कार्य हो विवाह, धार्मिक अनुष्ठान या फिर नियमित रूप से होने वाली पूजा, बिना शंख बजाए इनमें से किसी की भी शुरूआत नहीं होती। मगर ऐसा क्यों है? क्यों सनातन धर्म में इसे इतना महत्व क्यों प्राप्त है? इसकी ध्वनि में कौन सी एनर्जी होती है जिससे वातावरण शुद्ध हो जाता है?

चलिए एक-एक करके आपके बताते हैं इन सभी प्रश्नों के उत्तर- 
सबसे पहले हम आपको बताएंगे कि शंख का सनातन धर्म में क्या महत्व है। दरअसल शंख की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी। शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन से कुल 14 रत्न निकले थे, जिसमें से 1 था शंख। कहा जाता है शंख को देवी लक्ष्मी का भाई माना जाता है। यही कारण है कि कहा जाता है जिस घर में शंख होता है वहीं लक्ष्मी जरूर वास करती हैं। धार्मिक शास्त्रों की बात करें तो इसमें कुल 3 शंख बताए गए हैं जिनमें पहला दक्षिणावृत्ति, दूसरा मध्यावृत्ति तथा तीसरा वामवृत्ति, जिनमें से अगर सबसे प्रिय की बात करें तो श्री हरि विष्णु जी को दक्षिणावृत्ति शंख अधिक प्रिय है। 


ये तो हुई इसकी धार्मिक महत्वता की, अब बात करते हैं कि शंख के बारे में वैज्ञानिकों का अपना क्या दृष्टिकोण है- 
शोध कर्ताओं की मानें तों शंख की ध्वनि वातावरण को शुद्ध करने में अपना योगदान देती है। कहा जाता है इसकी ध्वनि से वातावरण में व्याप्त कीटाणु वैज्ञानिक रूप से यह सिद्ध हो चुका है कि शंख की ध्वनि वातावरण में व्याप्त कीटाणुओं को नष्ट कर देती है। बताया जाता है कि साल 1928 में बर्लिन विश्वविद्यालय ने इस संबंध में शोध पत्र भी प्रकाशित किया था। जिसमें उन्होंने शंख की ध्वनि को कीटाणुओं को नष्ट करने की औषिधि बताया था। इसके अलावा ये भी कहा जाता कि जिस व्यक्ति को हकलाने की समस्या होती है, उसे शंख बजाना चाहिए, इससे भी ये परेशानी खत्म हो जाती है। 



अब जानते हैं वास्तु और फेंगशुई में क्या है इसका महत्व- 
वास्तु तथा फेंगशुई दोनों की शास्त्रों में शंखनाद और घर में इसे रखने के कई फायदे बताई गए हैं। इसके अनुसार इसे घर में रखने से सेहत के लिहाज़ से बहुत ही अच्छा माना जाता है। बता दें इसके लिए शंख के छोटे- बड़े होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। ऐसा कहा जाता है कि इसे निरंतर बजाने से जातक को हृदय संबंधी समस्त बीमारियां से राहत मिलती है और भविष्ण में ऐसी कोई बीमारी होने का भय भी नहीं रहता। 


तो वहीं फेंगशुई वास्तु शास्त्र के अनुसार इसे घर में रखने से घर में सुख-समृद्धि तो बढ़ती ही है, साथ ही साथ घर के सदस्यों को अपने-अपने क्षेत्र में तरक्की मिलती है। कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शंख को भगवान बुद्ध जिन्हें श्री हरि का ही अवतार कहा जाता है, के पैरों में बने 8 चिन्हों में से एक है। 


 

Jyoti

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