अजब-गजब: अद्भुत है इस जगह का रहस्य, चट्टानों के बीचो-बीच बसे है कई गुफानुमा गड्डे

Sunday, Nov 01, 2020 - 01:09 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हमारे भारत देश में अनेकों ही धार्मिक स्थल हैं, इन स्थानों पर सनातन धर्म के देवी-दे्वताओं की पूजा होती है। मगर इन स्थलोों के अलावा हमारे देश में कई ऐसी जगह हैं जो अधिक रहस्यमयी है। उस पर भी खास बात ये है कि इन स्थानों का संबंध कहीं न कहीं धार्मिक या सनातन धर्म से जुड़ा हुआ है। अब सनातन धर्म से संबंधित होने से मतलब ये इस धर्म के देवी-देवता से भी है, या प्राचीन काल में एक अहम भूमिका निभा चुके पात्रों से भी हो सकता है। तो वहीं कुछ ऐसे भी स्थल हैं जिनके रहस्य आज भी असुलझे हैं, जिनके बारे किसी तरह की जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई। इस कड़ी में आज हम आपको एक ऐसी ही जगह के बार में जो पूरी तरह से रहस्यों से भरी हुई है। जी हां, जिसे जगह की हम बात कर रहे हैं, झारखंड के हजारीबाग और चतरा जिले के बॉर्डर पर स्थित चुंदरू खावा है। तो चलिए आपको बताते हैं इस खास जगह के बारे में- 

इस जगह के रहस्यों की बात करें तो यह पूरा स्थल रहस्यों से भरपूर है। दरअसल यहां विशालकाय पत्थों पर बनी आकृति, हाथी और बाघ के पदचिन्ह और पत्थरों के बीच निर्मल जल का प्रवाह होता है। इन पत्थरों पर प्राकृतिक रूप से कई कुएं बने हुए हैं, जिनमें बरसों से पानी भरा हुआ है। और इन कुओं की सबसे खास बात तो ये है कि इनमें से कुछ कुएं तो ऐसे हैं जिनकी गहराई का पता आज तक किसी को नहीं चल सका। 

बताया जाता है इस स्थाल को चुंदरू बाबा के नाम से भी जाना जाता है। इस जगह के आस-पास रहने वाले लोगों द्वारा बताया जाता है कि चुंदरू बाबा टंडवा यहां के लोगों के कुलदेवता हैं। झारखंड का यह चुंदरू धाम दो नदियों का संगम भी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस धाम की नक्काशी दार बड़ी-बड़ी चट्टानें में आज भी कईं रहस्य छिपे हुए हैं। 

तो अन्य प्रचलित मान्यताओं के अनुसार यहां मौजूद चट्टानों के बीच एक गुफानुमा गड्ढा ऐसा है, जिसकी गहराआ का आंकलन आजतक किसी के बस की बात नहीं है। स्थानी लोगों की मानें तो एक बार जह इस गड्ढे की गहराई के आंकलन के प्रयास किया गया तो, 7 खटिया की डोर भी कम पड़ गई। ये गुफानुमा पत्थर किस काल का है, इस बारे में भी आज तक किसी तरह के जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी। 

क‍िवंदती है क‍ि यहां मौजूद चट्टानों के बीच एक गुफानुमा गड्ढा ऐसा भी है, ज‍िसकी गहराई का आंकलन आजतक कोई नहीं कर पाया है। स्‍थानीय न‍िवास‍ियों की मानें तो उस गड्ढे की गहराई के आंकलन के ल‍िए सात खटिया की डोर भी कम पड़ गईं। यही नहीं यह गुफानुमा पत्थर किस काल का है, इस बारे में भी कोई जानकारी नहीं म‍िलती।

Jyoti

Advertising