Christmas Traditions Around the World: अनूठी परम्पराएं ‘क्रिसमस’ की

Sunday, Dec 25, 2022 - 11:38 AM (IST)

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Christmas Traditions Around the World: कुछ विद्वानों के अनुसार ‘क्रिसमस’ लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है ‘क्राइस्ट की याद में प्रार्थना सभा।’ पश्चिम की बहुरंगी संस्कृति में इस महोत्सव के साथ कई लोककथाएं भी जुड़ी हैं।

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दुनिया भर में अलग परम्पराएं
स्पेन में इस दिन सामूहिक भोज होता है। स्त्री-पुरुष हाथों में बड़ी-बड़ी मोमबत्तियां लेकर क्रिसमस गीत और भजन गाते तथा खूब आतिशबाजी भी करते हैं। वहां क्रिसमस से ही नववर्ष की शुरूआत मानी जाती है।

नीदरलैंड्स की संस्कृति में इस उत्सव से हफ्तों पूर्व जगह-जगह क्रिसमस वृक्ष उगाने की प्रथा है। वहां बच्चे अपने हाथों में रंग-बिरंगे फूल लेकर चर्च में पहुंचते हैं और फादर को क्रिसमस की बधाई देते हैं।


लंदन में इस दिन युवा पीढ़ी नृत्य व डांस संस्कृति के प्रति ज्यादा झुकाव रखती है। घरों में बड़ी-बड़ी मोमबत्तियां जलाई जाती हैं तथा देर रात्रि तक खूब आतिशबाजी भी की जाती है।

रोम में इस दिन बच्चे नई-नई पोशाकें पहन कर घूमते रहते हैं। युवक सांता क्लाज का भेस बनाकर वहां आते हैं और उन्हें उपहारों के साथ-साथ बड़े-बड़े गुब्बारे भी भेंट में देते हैं। चीन में इस अवसर पर बच्चे मनोरंजन के तौर पर बड़ी-बड़ी पतंगें उड़ाकर खूब खुशियां मनाते हैं। आयरलैंड में विश्वास है कि क्रिसमस पर पैदा होने वाले बच्चे तीव्र बुद्धि वाले होते हैं।

फ्रांस में इस दिन गरीबों को नव वस्त्र व भोजन दान किया जाता है तथा उन्हें क्रिसमस वृक्ष भी भेंट किए जाते हैं, जिन्हें वे बाद में सूने स्थानों पर रोप आते हैं।

स्कॉटलैंड में किशोरियां घर-घर जाकर लाल गुलाब का पौधा लगाती हैं ताकि नव वर्ष में सभी घर गुलाब के फूल की भांति महकते रहें।

किसमस ट्री और सांता क्लॉज
इस शुभ अवसर पर क्रिसमस वृक्ष का विशेष महत्व है। सदाबहार क्रिसमस वृक्ष डगलस या बालसम का वृक्ष होता है जिस पर क्रिसमस के दिन सजावट की जाती है। कहा जाता है कि सर्वप्रथम क्रिसमस ट्री सजाने की प्रथा की शुरूआत प्राचीन काल के चीनियों, मिस्रवासियों या हिब्रू लोगों ने की थी, जो इस सदाबहार पेड़ की मालाओं, पुष्पहारों को जीवन की निरंतरता का प्रतीक मानते थे। उनका विश्वास था कि ये वृक्ष घरों में सजाने से बुरी आत्माएं दूर रहती हैं।



विक्टोरिया काल में इन पेड़ों पर मोमबत्तियां, टाफियां और बढ़िया किस्म के केक सजाने की परम्परा की शुरूआत हुई। ये वस्तुएं रिबन और कागज की पट्टियों से पेड़ पर बांधी जाती हैं। इंगलैंड में युवराज अलबर्ट ने सन् 1841 ई. में विंडसर कैसल में पहला क्रिसमस ट्री लगाया था।

आधुनिक क्रिसमस ट्री सजाने की परम्परा का आरंभ सर्वप्रथम पश्चिम जर्मनी में हुआ। इसके पीछे एक रोचक कहानी है। मध्यकाल के एक लोकप्रिय नाटक ‘ईडन गार्डन’ को मंचित करने के लिए फर के वृक्षों का उपयोग किया गया जिस पर सेब लटकाए गए। यह ‘स्वर्ग वृक्ष’ का प्रतीक था। जर्मनी के लोगों ने 24 दिसम्बर (आदम और ईव की दावत के धार्मिक उत्सव का दिन) को फर का पेड़ अपने घर के आंगन में लगाना शुरू किया। वे इस वृक्ष की सुंदरता बढ़ाने के लिए इस पर पन्नियां और लकड़ी के तिकोने तख्ते लगाते थे।
क्रिसमस सांता क्लॉज के बिना अधूरा है। इस दाढ़ी वाले बाबा के बिना इस उत्सव का मजा किरकिरा है, जो क्रिसमस उत्सव की महफिल में लम्बी-लम्बी कई जेबों वाली अजीबो-गरीब पोशाक पहनकर आता है। उसकी सफेद दाढ़ी चांदी की तरह चमकती है। उसकी जेबों और उसके थैले में कई तरह के प्यारे-प्यारे उपहार रहते हैं।

सांता क्लॉज के संबंध में कहा जाता है कि वे रेंडियर पर सवार होकर किसी बर्फीले स्थान से आते हैं, चिमनियों के रास्ते घरों में प्रवेश करके सभी बच्चों को उपहार देते हैं। सांता क्लाज की परम्परा की शुरूआत संत निकोलस ने चौथी-पांचवीं सदी में की थी। उनका उद्देश्य था कि क्रिसमस और नववर्ष के दिन गरीब-अमीर सभी प्रसन्न रहें।

उनकी दयालुता के किस्से लम्बे अर्से तक कथा-कहानियों के रूप में चलते रहे। संत निकोलस के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने कोंस्टेंटाइन प्रथम के स्वप्न में आकर 3 सैनिक अधिकारियों को मृत्युदंड से बचाया था।

17वीं सदी तक इस दयालु बुजुर्ग का नाम संत निकोलस के स्थान पर सेंट क्लाज हो गया। यह नया नाम डेनमार्कवासियों की देन है। वहां के लोग संत निकोलस को ‘सैंटरी क्लॉज’ पुकारते थे। आगे चल कर इसी का परिवर्तित रूप ‘सेंट क्लाज’ यूरोपीय चर्च प्रधान देशों में प्रचलित हुआ। आधुनिक युग में उन्हें ‘फादर आफ क्रिसमस’ और ‘फादर आफ जनवरी’ तक कहा जाता है।

क्रिसमस केक का महत्व
क्रिसमस पर बनाए जाने वाला केक तैयार करने का तरीका विशिष्ट है। क्रिसमस केक बनाने के लिए गृहणियां एक महीने पूर्व से तैयारी करने लगती हैं।



क्रिसमस कार्ड का चलन
सबसे पहले क्रिसमस कार्ड विलियम एगले द्वारा सन् 1842 में भेजा गया। चूंकि यह क्रिसमस का मौका था इसलिए इसे ‘क्रिसमस कार्ड’ कहा गया।

इस कार्ड में एक शाही परिवार की तस्वीर थी जिसमें लोग मित्रों के स्वास्थ्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए दिखाए गए और उस पर लिखा था, ‘विलियम एगले के दोस्तों को क्रिसमस शुभ हो।’

उस जमाने में चूंकि यह नई बात थी इसलिए यह कार्ड महारानी विक्टोरिया को दिखाया गया। इससे खुश होकर उन्होंने अपने चित्रकार डोबसन को बुलाकर शाही क्रिसमस कार्ड बनवाने के लिए कहा।

 

Niyati Bhandari

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