Choti Diwali: छोटी दीवाली से जुड़ी हैं ये परंपराएं, पढ़ें पौराणिक कथा

Monday, Nov 06, 2023 - 07:55 AM (IST)

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Naraka Chaturdashi 2023: नरक चतुर्दशी का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। इसे रूप चतुर्दशी, नरक चौदस, काली चौदस एवं छोटी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधि से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने पर सौंदर्य की प्राप्ति होती है। शाम के समय यमराज की पूजा-अर्चना करने से नरक की यातनाओं और अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है।

Kali Chaudas: इस दिन मां काली की पूजा का विधान है। कहा जाता है कि इस दिन मां काली की पूजा-अर्चना पूर्ण विधि द्वारा करने से शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति होती है।

Choti Diwali Festival: यह पर्व धनतेरस से अगले दिन तथा दीपावली से एक दिन पूर्व मनाया जाता है। इस अवसर पर की गई पूजा में 6 देवी-देवताओं यमराज, श्री कृष्ण, काली माता, भगवान शिव, हनुमान जी एवं वामन जी की पूजा का विधान है। इस दिन पूजा-अर्चना करने से घर में सकारात्मकता का वास होता है। शाम के समय पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

Choti Diwali story: मान्यता है कि योगेश्वर श्री कृष्ण ने इस दिन नरकासुर नामक राक्षक का वध किया, इसीलिए इसे नरक चौदस कहा जाने लगा। इसे मुक्ति पर्व भी माना जाता है। नरकासुर राक्षस देव-देवियों और मनुष्यों को बहुत परेशान करता था। उसने 16 हजार स्त्रियों को बंदी बनाकर रखा था। जब इस समस्या का कोई हल नहीं निकला तो देवी-देवताओं ने योगेश्वर श्री कृष्ण की शरण ली।

उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से गुहार लगाई तथा उन्होंने राक्षस नरकासुर का वध कर तीनों लोकों को उसके अत्याचारों से मुक्त किया। नरकासुर को श्राप मिला था कि वह किसी स्त्री के कारण ही मारा जाएगा। ऐसे में भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद ली और उन्हें अपने रथ का सारथी बनाया तथा नरकासुर का वध किया। यह दिन चौदस का था इसीलिए इसे नरक चौदस कहा जाने लगा।

योगेश्वर कृष्ण ने बंदी स्त्रियों को नरकासुर की कैद से मुक्त कराया। इनमें कई स्त्रियां ऐसी थीं, जिनके परिजनों की नरकासुर हत्या कर दी थी। ऐसी निराश्रित स्त्रियां समाज में पूर्ण सम्मान के साथ रह सकें, इसीलिए योगेश्वर श्री कृष्ण 16000 स्त्रियों को अपने नाम के रक्षासूत्र दिए, ताकि सम्पूर्ण आर्यवृत में इन स्त्रियों को श्री कृष्ण की पत्नियों की तरह सम्मान मिल सके।

Roop Chaturdashi 2023: छोटी दीपावली पर घर में दीपक जलाए जाते हैं। यमराज एवं बजरंग बली की पूजा खास तौर से की जाती है। नरक चतुर्दशी यानी छोटी दीपावली पर यम के लिए चतुर्मुख दीपदान करना शुभ रहेगा, लम्बी उम्र के लिए घर के बाहर यम का दीपक जलाने की परम्परा है। यह दीपक दक्षिण दिशा में जलाना चाहिए। नरक चतुर्दशी की रात जब घर के सभी सदस्य घर आ जाते हैं, तब यम के नाम का दीपक जलाया जाता है।

इस दिन तेल लगाकर स्नान किया जाता है। मान्यता है कि कार्तिक के महीने में स्नान करते समय तेल लगाना वर्जित माना जाता है लेकिन नरक चतुर्दशी के दिन तेल लगाकर ही स्नान किया जाता है। इस दिन हनुमान चालीसा या सुंदर कांड का पाठ करना श्रेष्ठ होता है। नरक चतुर्दशी के दिन घर के नरक यानी गंदगी को साफ किया जाता है। इसके अगले दिन महालक्ष्मी की पूजा प्रदोष काल में की जाती है।

Niyati Bhandari

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