मित्र कम चुनें लेकिन नेक चुनें

Monday, Jan 15, 2018 - 02:23 PM (IST)

एक लड़के के अनेक मित्र थे, जिसका उसे बहुत घमंड था। उसके पिता का एक ही मित्र था, लेकिन था सच्चा। एक दिन पिता ने बेटे को बोला कि तेरे बहुत सारे दोस्त हैं, उनमें से आज रात तेरे सबसे अच्छे दोस्त की परीक्षा लेते हैं। बेटा सहर्ष तैयार हो गया। रात को 2 बजे दोनों बेटे के सबसे घनिष्ठ मित्र के घर पहुंचे। बेटे ने दरवाजा खट-खटाया, मगर दरवाजा नहीं खुला। बार-बार दरवाजा खटकाने के बाद दोनों ने सुना कि अंदर से बेटे का दोस्त अपनी माता जी को कह रहा था कि मां कह दे, मैं घर पर नहीं हूं। यह सुनकर बेटा उदास हो गया। अत: निराश होकर दोनों घर लौट आए। फिर पिता ने कहा कि बेटे, आज तुझे अपनेे दोस्त से मिलवाता हूं। दोनों रात के 2 बजे पिता के दोस्त के घर पहुंचे। पिता ने अपने मित्र को आवाज लगाई। उधर से जवाब आया कि ठहरना मित्र, दो मिनट में दरवाजा खोलता हूं।

 

जब दरवाजा खुला तो पिता के दोस्त के एक हाथ में रुपए की थैली और दूसरे हाथ में तलवार थी। पिता ने पूछा, ‘‘यह क्या है मित्र।’’ तब मित्र बोला, ‘‘अगर मेरे मित्र ने रात्रि 2 बजे मेरा दरवाजा खटखटाया है तो जरूर वह मुसीबत में होगा और अक्सर मुसीबत दो प्रकार की होती है, या तो रुपए-पैसे की या किसी से विवाद हो गया हो। अगर तुम्हें रुपए की आवश्यकता हो तो यह रुपयों की थैली ले जाओ और किसी से झगड़ा हो गया हो तो ये तलवार लेकर मैं तुम्हारे साथ चलता हूं।  यह सुनकर पिता की आंखें भर आईं और उन्होंने अपने मित्र से कहा, ‘‘मित्र मुझे किसी चीज की जरूरत नहीं है। मैं तो बस अपने बेटे को मित्रता की परिभाषा समझा रहा था।’’तात्पर्य यह कि ऐसे मित्र न चुनें जो खुदगर्ज हों और आपके काम पडने पर बहाने बनाने लगें। मित्र कम चुनें लेकिन नेक चुनें, जो मुसीबत में आपके साथ खड़े हों और मददगार हों।

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