महापर्व छठ पूजा : व्रतधारियों ने दिया डूबते सूर्य को अर्ध्य

Monday, Nov 07, 2016 - 09:27 AM (IST)

देवी षष्ठी माता व भगवान सूर्य को प्रसन्न करने हेतु महापर्व छठ पूजा करने वाले छठ व्रतधारियों ने रविवार सायं डूबते सूर्य को अर्ध्य देकर पूजन किया और मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु प्रार्थना की। 


सरहिंद नहर की भटिंडा ब्रांच पर लगे छठ मेले में सैंकड़ों की तादाद में एकत्रित हुए श्रद्धालुओं ने श्रद्धापूर्वक नहर में उतरकर डूबते सूर्य को अर्ध्य देकर फलों, चावल के लड्डू व सब्जियों का भोग लगवाया। नहर के किनारे ईख का घर बनाकर दीये जलाए और पूजन विधि सम्पन्न की। छठ उत्सव को लेकर शहर में रहते अप्रवासी नागरिकों में भारी उत्साह देखने को मिला। व्रतधारियों ने जमकर गन्ने व अन्य फलों और फूलों की खरीद की। झूमते-नाचते छठव्रती नहर किनारे पहुंचे और श्रद्धापूर्वक पूजन विधि सम्पन्न की।


7 नवम्बर को सुबह भी व्रतधारी सूर्य देवता की पूजा कर अर्ध्य देकर व्रत सम्पन्न करेंगे। श्रद्धालुओं की सुविधा और तमाम प्रबंध यकीनी बनाने हेतु जहां जिला प्रशासन द्वारा पुख्ता प्रबंध किए गए, वहीं सहारा जनसेवा व छठ पूजा वैल्फेयर सोसायटी के सदस्यों ने भी नहर किनारे सहायता सेवाएं दीं। सहारा जनसेवा के अध्यक्ष विजय गोयल ने बताया कि संस्था सदस्यों की एक विशेष टीम राहत सामग्री सहित नहर किनारे तैनात की गई थी, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति में तुरंत सहायता दी जा सके। 


छठ पूजा का महत्व
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन छठ पूजा की जाती है। छठ पूजा चार दिवसीय उत्सव है। इसकी शुरूआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से व समाप्ति कार्तिक शुक्ल सप्तमी को होती है। इस दौरान व्रतधारी निरंतर 36 घंटे का व्रत रखते हैं और इस दौरान पानी भी ग्रहण नहीं करते। उत्सव का पहला दिन ‘नहाय-खाय’, दूसरा दिन ‘खरना’, तीसरा दिन ‘संध्या अर्ध्य’ व चौथा दिन ‘ऊषा अर्ध्य’ के रूप में मनाया जाता है। भगवान सूर्य को समर्पित इस पूजा में सूर्यदेव को अर्ध्य दिया जाता है। पूजन में शरीर व मन को पूरी तरह साधना पड़ता है, इसलिए इस पर्व को हठयोग भी कहा जाता है। विद्वानों का मानना है कि विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति के साथ-साथ संतान प्राप्ति हेतु भी छठ पूजा का बेहद महत्व है।

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