दिल्ली में छठ महापर्व की छटा, घाटों पर श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफ़ा

Friday, Nov 01, 2019 - 12:44 PM (IST)

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छठ के लिए एकजुट होना पूरबिया अस्मिता और संस्कृति की पहचान है। लोकआस्था का यह महापर्व मुख्यत: भारत के बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में उल्लास एवं निष्ठा के साथ मनाया जाता है। लेकिन अब यह राष्ट्रीय कौन कहे अंतरराष्ट्रीय महापर्व बनता जा रहा है। देश के महानगरों में छठ की धूम रहती है। राजधानी दिल्ली में भी छठ की लोकप्रियता निरंतर बढ़ रही है।

साल 2014 में जहां दिल्ली सरकार द्वारा 72 छठ घाटों की व्यवस्था की गई थी वहीं इस बार इन घाटों की संख्या बढ़ाकर 1200 कर दी गई है। घाटों की इस संख्या में इजाफ़ा। इस बात की तस्दीक कर रहा है कि दिल्ली में छठ व्रतियों की संख्या बढ़ती जा रही है। राजधानी में यमुना तट स्थित विभिन्न घाटों पर एवं विभिन्न सरोवरों पर दिल्ली और एनसीआर क्षेत्रों से जुटने वाले करीब 5 लाख लोगों की मौजूदगी से आस्था के इस महासमुंद्र की चमक भव्यता का स्वरूप धारण कर लेती है। 

1980 के दशक में दिल्ली में एशियाड खेलों का भव्य आयोजन हुआ था, इसके आयोजन के लिए दिल्ली में बड़े पैमाने पर आधारभूत ढांचे का निर्माण हुआ। इसे निर्मित करने हेतु बिहार और उत्तर प्रदेश से श्रमिकों का खूब पलायन हुआ। जो श्रमशक्ति इस कार्य के लिए यहां आई वह यहीं की हो कर रह गई। इन श्रमिकों के आश्रय के लिए दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों का विस्तार हुआ, जेजे कॉलोनियों इत्यादि को भी बसाया गया। कई नए क्षेत्र आबाद हुए। नतीजा इन कॉलोनियों में छठ व्रतियों की संख्या हजारों में पहुंच गई।

जगह-जगह छठ घाट बनने लगे। 90 के दशक में उदारीकरण का दौर चला तो गांव के साथ दिल्ली की भी तस्वीर बदल गई। राष्ट्रीय राजधानी में भोजपुरिया लोगों का दखल बढ़ा और वे संख्या के आधार पर प्रभावी बनने लगे। दिल्ली सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के औद्योगिक क्षेत्रों में भोजपुरिया प्रवासन की गति और तीव्र हुई। इसमें दिल्ली और भोजपुरी क्षेत्र के बीच यातायात की बेहतर सुविधा का भी योगदान रहा। बिहार के बाहर पहली बार साल 2000 में दिल्ली में ऐच्छिक अवकाश के रूप में छठ की छुट्टी को स्वीकार किया गया वहीं इसके करीब एक दशक बाद यानि साल 2011 की छठ पर केंद्र सरकार ने छठ को ऐच्छिक अवकाश की श्रेणी में रखा। केंद्र सरकार के इस पहल पर राष्ट्रीयकृत बैंकों, केंद्र सरकार के कार्यालयों, पैरा मिलिटरी फोर्स के कर्मचारियों, आर्मी, लोक उपक्रमों इत्यादि में यह छुट्टी प्रभावी हो गई। नतीजा छठ का बिहार और यूपी के अलावे समूचे देश में विस्तार हुआ।

Jyoti

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