यहां विराजती हैं माता करवा, दर्शन करनी वाली महिला को मिलता है सौभाग्य का आशीर्वाद

Wednesday, Nov 04, 2020 - 06:05 PM (IST)

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कार्तिक मास की शुरुआत होते ही हिंदू धर्म के मुख्य त्यौहार पड़ने शुरू हो जाते हैं। इसी कड़ी में आज देशभर के बहुत से कोनों में करवाचौथ का पर्व मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में तमाम जानकारी हम आपको पहले ही दे चुके हैं। अब हम आपको आगे बताने वाले हैं माता करवा कहां विराजती हैं। जी हां, सनातन धर्म के तमाम देवी-देवता की तरह माता करवा का भी हमारे देश में मंदिर स्थापित है। बता दें ये मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर में पहाड़ी की एक चोटी पर स्थित है, जिसे चौथ माता का मंदिर कहा जाता है। बताया जाता है प्रत्येक करवाचौथ के पर्व पर महिलाओें की भीड़ दिखाई देती है। धार्मिक मान्यताओं की मानें तोे माता करवा कोई और नहीं बल्कि सनातन धर्म की प्रमुख देवी पार्वती का ही रूप हैं। चलिए विस्तारपूर्वक जानते हैं इस मंदिर के बारे में- 

जैसे कि उपरोक्त हमने आपको बताया कि ये मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर में पहाड़ की एक चोटी पर चौथ माता का मंदिर स्थित है, जो बहु प्राचीन और सुप्रसिद्ध है। बताया जाता है इसकी स्थापना 1451 में राजा भीम सिंह ने की थी। माधोपुर में करवा चौथ, भाद्रपद चौथ, माघ चौथ और लक्खी मेला पर लाखों श्रद्धालु इस स्थान पर आते हैं और माता के दर्शन करते हैं। करवा चौथ के दिन चौथ माता के मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। यहां की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ के दिन यहां माता के दर्शन और पूजा करने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है साथ ही साथ दांपत्य जीवन में सुख बढ़ता है।

इस स्थान तक पहुंचने के लिए भक्तों को 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। इस मंदिर की उंचाई कम से कम 1100 फीट है। चौथ माता का मंदिर राजपूताना शैली में सफेद संगमरमर का बना हुआ है। इस मंदिर में चौथ माता के साथ भगवान गणेश और भैरवनाथ की भी मूर्ति भी है। वहीं अगर हम बात करें मंदिर में वास्तुकला की तो परंपरागत राजपूताना शैली देखी जा सकती है। 

यहां के लोगों का मानना है कि कोई भी शुभ कार्य से पहले चौथ माता को निमंत्रण दिया जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने पर वह कार्य जल्दी व अच्छे से पूरा होता है। बूंदी राजघराने में आजतक चौथ माता को कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है। मंदिर में पति की लंबी उम्र, संतान प्राप्ति और सुख व समृद्धि की कामना लेकर भक्तजन दर्शन करने आते हैं। मंदिर के पुजारियों द्वारा बताया जाता है कि मंदिर में सैकड़ों साल से एक अखण्ड ज्योति जल रही है। जिसक निरंतर जलने का रहस्य आज तक कोई नहीं समझ पाया।

Jyoti

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