8 नवंबर तक इन चीजों का करें त्याग, मिलेंगे ढेरों लाभ

Wednesday, Jul 24, 2019 - 10:40 AM (IST)

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देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरूआत हो जाती है। श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक, ये चार माह सनातन धर्म में सबसे महत्वपूर्ण माह माने जाते हैं और ये चारों मास ‘चातुर्मास’ के नाम से जाने जाते हैं। इसका समापन 8 नवंबर 2019 देवउठनी एकादशी पर होगा। इस दौरान यानी 4 माह में विवाह संस्कार, संस्कार, गृह प्रवेश आदि सभी मंगल कार्य निषेध माने गए हैं। ऐसा माना जाता है कि चातुर्मास में हर व्यक्ति को व्रत करना चाहिए लेकिन उसके लिए भी नियमों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। इन 4 महीनों में किया गया शारीरिक तप भगवान से जुडऩे में मदद करता है। 

चातुर्मास में शारीरिक और मानसिक तप के अलावा मन की शुद्धि पर भी जोर दिया गया है जिसे धार्मिक और आध्यात्मिक तप भी कहा जा सकता है। इस तरह के तप से मन में नकारात्मक विचार और गलत काम करने की इच्छाएं पैदा नहीं होतीं। इन दिनों में जप-तप और ध्यान की मदद से परमात्मा के साथ जुडऩे की कोशिश की जाती है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

चातुर्मास के दौरान अपनी रुचि के अनुसार, नित्य व्यवहार के पदार्थों का त्याग और ग्रहण करें। जैसे-मधुर स्वर के लिए गुड़ का, दीर्घायु अथवा पुत्र-पौत्रादि की प्राप्ति के लिए ‘तेल’ का, शत्रुनाशादि के लिए ‘कड़वे तेल’ का, सौभाग्य के लिए ‘मीठे तेल’ का और स्वर्ग प्राप्ति के लिए ‘पुष्पादि’ भोगों का त्याग करें। देह शुद्धि या सुंदरता के लिए ‘पंचगव्य’ का, वंश वृद्धि के लिए नियमित ‘दूध’ का, कुरुक्षेत्रादि के समान फल मिलने के लिए पात्र में भोजन करने के बदले ‘पत्र’ का और पुण्य फल प्राप्त करने के लिए ‘एकभुक्त’, नक्तव्रत, अयाचित भोजन या ‘सर्वथा उपवास’ करने का व्रत ग्रहण करें।

देवशयनी एकादशी के दिन से देवप्रबोधिनी एकादशी तक पलंग पर सोने की मनाही होती है।
झूठ नहीं बोलना चाहिए।
पत्नी के साथ संबंध बनाने से परहेज रखें।
मांस और मदिरा का सेवन न करें।
भोजन में मूली और बैंगन को शामिल न करें।
शहद और दही-भात का सेवन भी वर्जित माना गया है।

Niyati Bhandari

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