Chaturmas 2022: स्वर्ग के राजा इन्द्र जैसा सुख चाहते हैं तो 4 महीने तक करें ये काम

Wednesday, Jul 06, 2022 - 08:35 AM (IST)

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Chaturmas 2022: पदमपुराण के अनुसार जिन दिनों में भगवान विष्णु शयन करते हैं, उन 4 महीनों को चातुर्मास एवं चौमासा भी कहते हैं। देवशयनी एकादशी से हरिप्रबोधनी एकादशी तक चातुर्मास 10 जुलाई से 4 नवम्बर तक चलेगा, इन चार मासों में विभिन्न कर्म करने पर मनुष्य को विशेष पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है क्योंकि इन दिनों में किसी भी जीव की ओर से किया गया कोई भी पुण्यकर्म खाली नहीं जाता। वैसे तो चातुर्मास का व्रत देवशयनी एकादशी से शुरु होता है परंतु द्वादशी, पूर्णिमा, अष्टमी और कर्क की सक्रांति से भी यह व्रत शुरु किया जा सकता है।


Do these work in chaturmas चार्तुमास के विभिन्न कर्मों का पुण्य फल 
जो मनुष्य इन चार महीनों में मंदिर में झाड़ू लगाते हैं तथा मंदिर को धोकर साफ करते हैं, कच्चे स्थान को गोबर से लीपते हैं, उन्हें सात जन्म तक ब्राह्मण योनि मिलती है।  

जो भगवान को दूध, दही, घी, शहद और मिश्री से स्नान करवाते हैं, वह संसार में वैभवशाली होकर स्वर्ग में जाकर इन्द्र जैसा सुख भोगते हैं। 
  
धूप, दीप, नैवेद्य और पुष्प आदि से पूजन करने वाला प्राणी अक्षय सुख भोगता है।  

तुलसी दल अथवा तुलसी मंजरियों से भगवान का पूजन करने, स्वर्ण की तुलसी ब्राह्मण को दान करने पर परमगति मिलती है।  

गूगल की धूप और दीप अर्पण करने वाला मनुष्य जन्म जन्मांतरों तक धनाढ्य रहता है।  
 


पीपल का पेड़ लगाने, पीपल पर प्रति दिन जल चढ़ाने, पीपल की परिक्रमा करने, उत्तम ध्वनि वाला घंटा मंदिर में चढ़ाने, ब्राह्मणों का उचित सम्मान करने, किसी भी प्रकार का दान देने, कपिला गो का दान, शहद से भरा चांदी का बर्तन और तांबे के पात्र में गुड़ भरकर दान करने, नमक, सत्तू, हल्दी, लाल वस्त्र, तिल, जूते, और छाता आदि का यथाशक्ति दान करने वाले जीव को कभी भी किसी वस्तु की कमी जीवन में नहीं आती तथा वह सदा ही साधन संपन्न रहता है।  
 
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जो व्रत की समाप्ति यानि उद्यापन करने पर अन्न, वस्त्र और शैय्या का दान करते हैं वह अक्षय सुख को प्राप्त करते हैं तथा सदा धनवान रहते हैं। 
  
वर्षा ऋतु में गोपीचंदन का दान करने वालों को सभी प्रकार के भोग एवं मोक्ष मिलते हैं।  

जो नियम से भगवान श्री गणेश जी और सूर्य भगवान का पूजन करते हैं, वह उत्तम गति को प्राप्त करते हैं तथा जो शक्कर का दान करते हैं उन्हें यशस्वी संतान की प्राप्ति होती है।  
 


माता लक्ष्मी और पार्वती को प्रसन्न करने के लिए चांदी के पात्र में हल्दी भर कर दान करनी चााहिए तथा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बैल का दान करना श्रेयस्कर है।  

चातुर्मास में फलों का दान करने से नंदन वन का सुख मिलता है।  

जो लोग नियम से एक समय भोजन करते हैं, भूखों को भोजन खिलाते हैं, स्वयं भी नियमवद्घ होकर चावल अथवा जौं का भोजन करते हैं, भूमि पर शयन करते हैं उन्हें अक्षय कीर्ती प्राप्त होती है। 
  
इन दिनों में आंवले से युक्त जल से स्नान करना तथा मौन रहकर भोजन करना श्रेयस्कर है। 
 
 

Niyati Bhandari

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