आज से आरंभ हो रहा है चातुर्मास, इन नियमों का करें पालन

Tuesday, Jul 16, 2019 - 03:05 PM (IST)

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आज से चातुर्मास्य का प्रारम्भ हो रहा है। इसमें श्रावण, भाद्रपद, आश्‍विन और कार्तिक माह आते हैं। चातुर्मास यानी चार महीने का वो समय जब भगवान श्री हरि विष्णु शयन करने के लिए राजा बलि के घर पाताल लोक चले जाते हैं। चार महीने तक चलने वाला श्रीहरि का शयन काल, चतुर्मास व्रत कहलाता है। अपने-अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कर्मी, ज्ञानी, योगी एवं भक्तों को चातुर्मास के व्रत व नियमों का पालन करना चाहिये। शुद्ध भक्तों की साधना का परम लक्ष्य तो भगवान श्रीकृष्ण का प्रेम प्राप्त करना होता है। जबकि अन्य की साधना का लक्ष्य दुनियां के भोग, सुख और मोक्ष को प्राप्त करना होता है। 

आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष में जब सूर्य कर्क राशि में रहता है, तब भगवान मधुसूदन शयन करते हैं और जब सूर्य तुला राशि में आता है, तब भगवान की जागरण लीला होती है। आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्षीय एकादशी से भी कुछ श्रद्धालु चातुर्मास व्रत का आरम्भ करते हैं। वैसे यह चार महीने तक चलने वाला चातुर्मास व्रत इस शयन एकादशी के अतिरिक्त द्वादशी, पुर्णमासी, अष्टमी अथवा संक्रान्ति के दिन से भी प्रारम्भ किया जा सकता है।  

मान्यता है की इस व्रत का आरंभ भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु ने किया था। उन्होंने पुरुषोत्तम धाम तथा श्रीरंगनाथ धाम में श्री कृष्ण कथा में समय बिताते हुए चातुर्मास व्रत का पालन किया था। इस व्रत का पालन करते हुए श्रीकृष्ण के दिव्य नाम, रूप, गुण, लीला का मुख्य रूप से श्रवण व कीर्तन करना चाहिये। शास्त्रों में बताया गए इन नियमों का पालन करें-

4 महीने तक लौकी, बीन्स, बैंगन, राजमा, उड़द दाल, पटल और सोयाबीन को खाना मना होता है। 

श्रावण (पहला महीना)- हरी पत्ते की सब्जियां नहीं खानी चाहिए।

भाद्र (दूसरा महीना)-  दही नहीं खाना चाहिए।

आश्विन (तीसरा महीना)- दूध नहीं पीना चाहिए।

कार्तिक (चौथा महीना)- सभी प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन और सरसों को खाना-पीना मना होता है।

सूर्योदय से पहले बिस्तर का त्याग करें।

इन दिनों श्री हरिनाम संकीर्तन व भागवत कथा के श्रवण व कीर्तन पर जोर दिया जाता है। जो लोग ऐसा करते हैं, वे सूर्य के समान प्रकाशमान विमान में चढ़कर, विष्णुलोक की प्राप्ति कर लेते हैं।

चार माह तक विष्णु मंदिर में मार्जन, पुष्प-लता आदि द्वारा मंदिर में भगवान का श्रृंगार करना चाहिए।

व्रत स्माप्ति पर ब्राह्मण भोजन अवश्य कराएं। 

महामंत्र का जाप करें- हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।

इस व्रत के समय में विष्णु मन्दिर में दीप-दान करने से मनुष्य धनी तथा सौभाग्यवान बनता है।

व्रत करने वाले भक्तों को चाहिए कि वे भगवान जनार्दन देव के शयन के इन चार महीनों में भूमि पर शयन करें। 

चार महीने तक इन चीज़ों का करें त्याग
गुड़ का त्याग करने से पुत्र-पौत्र आदि परिवार की वृद्धि होती है। 

कषैला, कड़वा, खट्टा-मीठा, लवण, कटु आदि छः प्रकार के रसों को त्याग दें, इससे शरीर की कुरूपता एवं शरीर की दुर्गन्ध नष्ट होती है।

जो ताम्बूल त्याग देता है, वह निरोगी होता है।

जो चार महीनों में अपने केश व नाखून नहीं काटता, वह विष्णु भगवान के चरण कमलों को स्पर्श करने का अधिकार लाभ प्राप्त करता है।

इस चातुर्मास व्रत के समय भगवान विष्णु जी के मन्दिर की परिक्रमा करने वाला हंसयुक्त विमान में स्वार होकर विष्णु लोक पहुंच जाता है।


 

Niyati Bhandari

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