4 महीने के लिए हो रहा है शादियां का लॉकडाउन आरंभ

Thursday, Jun 25, 2020 - 07:52 AM (IST)

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Chaturmas 2020: चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु क्षीर सागर में 4 महीने के लिए निद्रा में लीन हो जाते हैं। पृथ्वी पर इस दौरान कोई भी धार्मिक एवं विवाह जैसे शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। इसे श्री विष्णु शयनोत्सव भी कहा जाता है। मुहूर्त चिंतामणि तथा पीयूष धारा जैसे ग्रंथों के अनुसार उत्तर भारत में लोकमान्यता अनुसार विवाहादि के मुहूर्त स्वीकार किए गए हैं।


अतः 1 जुलाई से लेकर 25 नवंबर तक विवाह बंद नहीं होंगे और न ही कोई मांगलिक कार्य वर्जित होंगे। केेवल श्राद्ध, आश्विन ,कार्तिक तथा पौष महीनों के कुछ दिन छोड़ कर विवाह मुहूर्त प्रबल हैं। पहले हीे कोरोना तथा लॉकडाउन के कारण जनसाधारण के अधिकांश कार्य रुके पड़े हैं। हरिशयनी एकादशी, देवशयनी एकादशी, पद्मा एकादशी, पद्मनाभा एकादशी नाम से पुकारी जाने वाली एकादशी इस वर्ष 1 जुलाई  को आ रही है। इस दिन से गृहस्थ लोगों के लिए चातुर्मास नियम प्रारंभ हो जाते हैं। देवशयनी एकादशी नाम से ही स्पष्ट है कि इस दिन श्रीहरि शयन करने चले जाते हैं। इस अवधि में श्रीहरि पाताल के राजा बलि के यहां चार मास निवास करते हैं।


चातुर्मास असल में संन्यासियों द्वारा समाज को मार्गदर्शन करने का समय है। आम आदमी इन चार महीनों में अगर केवल सत्य ही बोले तो भी उसे अपने अंदर आध्यात्मिक प्रकाश नजर आएगा। इन चार मासों में कोई भी मंगल कार्य- जैसे विवाह, नवीन गृहप्रवेश आदि नहीं किया जाता है।


इसके पीछे सिर्फ यही कारण है कि आप पूरी तरह से ईश्वर की भक्ति में डूबे रहें। सिर्फ ईश्वर की पूजा-अर्चना करें। बदलते मौसम में जब शरीर में रोगों का मुकाबला करने की क्षमता यानी प्रतिरोधक शक्ति बेहद कम होती है, तब आध्यात्मिक शक्ति प्राप्ति के लिए व्रत करना, उपवास रखना और ईश्वर की आराधना करना बेहद लाभदायक माना जाता है।


वास्तव में यह वे दिन होते हैं जब चारों तरफ नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ने लगता है और शुभ शक्तियां कमजोर पड़ने लगती हैं ऐसे में जरूरी होता है कि देव पूजन द्वारा शुभ शक्तियों को जाग्रत रखा जाए। देवप्रबोधिनी एकादशी से देवता के उठने के साथ ही शुभ शक्तियां प्रभावी हो जाती हैं और नकारात्मक शक्तियां क्षीण होने लगती हैं।

मदन गुप्ता सपाटू
spatu196@gmail.com

Niyati Bhandari

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