संकल्प लेकर करें इस मंत्र का जाप, भगवान शिव की प्राप्ति भी है संभव

Sunday, Apr 30, 2017 - 11:57 AM (IST)

भगवान शिव एकमात्र ऐसे देवता हैं जो एक लोटा जल अर्पित करने पर ही प्रसन्न होकर मनचाहा वरदान प्रदान करते हैं। यहां भोलेनाथ के ऐसे मंत्र के बारे में बताया गया है जिससे भगवान शिव की प्राप्ति भी संभव है। जानिए कैसे करें भोलेनाथ की पूजा- 

भोलेनाथ की पूजा के लिए सबसे पहले शिवलिंग का निर्माण करना होगा। जिसके लिए शमशान की मिट्टी, भस्म, काली गाय का गोबर, दूध व घी, शहद, बिल्वपत्र, धतूरा, फल, स्वेतार्क के फूल, भांग, रूद्राक्ष की माला, लाल वस्त्र लें। जहां शिवलिंग स्थापित करना है उस स्थान को गोबर से लिप कर पवित्र कर लें। स्नानादि कार्यों से निवृत्त होकर मिट्टी, भस्म अौर गोबर में गंगा जल मिलाकर 16 इंच लंबा अौर 5 इंच मोटाई के शिवलिंग का निर्माण करें। भगवान शिव की यह पूजा पूर्णिमा को आरंभ करनी है। ज्योतिष से मुहूर्त निकलवा लें। पूजा में सबसे पहले श्रीगणेश, माता पार्वती अौर अपने गुरु की पूजा कर उनसे आशीर्वाद लें। उत्तर दिशा की अोर मुख करके पीले आसन पर बैठें अौर कितने जाप करने हैं उसका संकल्प लें। वैसे पूरा विधान 5 लाख जप से होता है।

इसके बाद गुरुमंत्र की चार माला जाप करें। उसके बाद श्रीगणेश की स्थापना सुपारी में कलावा लपेट कर करें अौर पूजन संपन्न करें। अपने दाहिनी अोर भैरव की स्थापना करें। भैरव यंत्र है तो यह बहुत शुभ है यदि नहीं है तो सुपारी का ही उपयोग कर सकते हैं। भगवान भैरव की पूजा सिंदूर अौर लाल फूल से करें। उसके बाद गुड़ का भोग लगाएं। भैरव बाबा के सामने सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें। यह दीपक मंत्र जप तक प्रज्वलित रहना चाहिए। अपनी बाई अोर एक घी का दीपक प्रज्वलित करें। यह दीपक भी साधना काल में अखंड प्रज्वलित रहे। अब इस मंत्र का जप करते हुए भगवान शिव की पूजा करें। 

ध्यायेन्नितय् महेशं रजतगिरिनिभं चारूचंद्रावतंसं ,
रत्नाकल्पोज्ज्व्लाङ्ग परशुमृगवराभीति हस्तं प्रसन्नम् !
पद्मासीनं समन्तात् स्तुतममरगणैव्याघ्रकृत्तिं वसानं,
विश्ववाध्यम विश्ववध्यम निखिल भयहरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रं !
ॐ श्री उमामहेश्वराभ्यां नमः आवाहयामि, स्थापयामि पूजयामि !!


पंचामृत, गंगाजल और फूल और नैवेध्य आदि से भोलेनाथ का पूजन करें। पंचमुखी रुद्राक्ष की छोटे दानों वाली माला भोलेनाथ को पहना दें अौर दूसरी माला से जप करें। साधना के बाद यह माला दिव्य हो जाएगी। इसके बाद एक पाठ रुद्राष्टक का करें अौर मंत्र जप की सिद्धि के लिए प्रार्थना करें। अब अपनी संकल्प शक्तिअनुसार ॐ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।

मंत्र जाप पूर्ण होने के बाद एक पाठ रुद्राष्टक का अौर दोबारा गुरु मंत्र का करें। पूरा दिन यहीं क्रम करें। मंत्र साधना में पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन, भूमिशयन करें। यह एक अघोर साधना है। इसके लिए किसी कुशल गुरु का होना आवश्यक है। यह साधना पूर्णिमा से शुरु कर संकल्प खत्म होने तक करनी हैै। इस साधना का संकल्प सोचकर ले क्योंकि यह क्रम बीच में टूटना नहीं चाहिए। 

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