इस विधि से अपने Bad luck को Good luck में बदलें

Thursday, May 21, 2020 - 10:31 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

आज हर तरफ समस्या ही समस्या है। जिस आदमी की प्यास समुद्र, सरोवर, नदी-नालों और कुंओं से नहीं बुझी, क्या उसकी प्यास बरसात की बूंदों से बुझ सकती है? मिथ्या दृष्टिकोण मनुष्य में ऐसी प्यास जगा देता है कि तीनों लोक के सारे पदार्थ उपलब्ध हो जाने पर भी वह बुझती नहीं। वह अमिट प्यास बन जाती है। ऐसी स्थिति में समाधान कैसे मिले? भगवान महावीर ने समस्या के समाधान की दृष्टि दी। उन्होंने कहा- मूल को पकड़ो, उसे नष्ट करो। सब समस्याएं सुलझ जाएंगी। जब समस्या की पकड़ ठीक होगी तो उसका समाधान भी ठीक होगा। प्रत्येक व्यक्ति में देखने का सकारात्मक दृष्टिकोण होना जरूरी है।

एक प्रश्न है कि आदमी करोड़पति है, अरबपति है। वह अप्रमाणिक और अनैतिक व्यवहार करता है। क्या वह गरीबी के कारण ऐसा करता है? अभाव के कारण करता है? रोटी-रोजी के लिए करता है? गरीब आदमी इतना अनैतिक नहीं होता, जितना एक अमीर आदमी होता है। समस्या धन की नहीं है। समस्या लोभ की है। यह सबसे बड़ी समस्या है। इसका समाधान नहीं खोजा जाता। समाधान खोजा जाता है गरीबी का। वह कभी समाप्त नहीं होती।

कुछ लोग बहुत धनी हो जाते हैं और कुछ अत्यधिक गरीब रह जाते हैं। जब कहीं पहाड़ है तो गड्ढा अवश्य होगा। ऊंचाई है तो गहराई भी होगी। सब कुछ समतल नहीं हो सकता। पानी का स्वभाव ऊंचाई से नीचे की तरफ बहना है। वह कितनी ही ऊंचाई पर हो, अंतत: नीचे की तरफ ही बहेगा। अग्नि किसी ओर भी जले, उसकी लपट ऊपर की ओर ही बढ़ेगी।

जो सकारात्मक चिंतन वाला होता है, उसके चारों ओर सफलता ही सफलता मंडराती है। इसके विपरीत नकारात्मक चिंतन वाले को समस्याएं घेरे रहती हैं। दरअसल चिंतन एक दर्पण के समान है। व्यक्ति बाहर से चाहे कितना ही सुंदर बनने की कोशिश करे, लेकिन भीतर यदि नकारात्मक सोच की कालिमा ही है तो वह कुरूप है। सकारात्मक सोच ही सृजन का द्वार होती है। सकारात्मक चिंतन वाला व्यक्ति जिधर भी अपने कदम बढ़ाता है, विजय श्री उसका साथ देती है। सकारात्मक सोच वाला कठिनाइयों के चक्रव्यूह से मुक्त हो सकता है। वह दुर्भाग्य को भी सौभाग्य में परिवर्तित कर सकता है।

Niyati Bhandari

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