चाणक्य नीतिः इन कारणों से इंसान को मिलता है Life में दुख

Wednesday, Nov 13, 2019 - 02:56 PM (IST)

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आचार्य चाणक्य ने अपने जीवन में ऐसी बहुत सी नीतियों की रचना की है, जिसे अगर कोई अपने जीवन में उतार ले तो उसका जीवन सुधर सकता है। उन्होंने जीवन में पैदा होने वाली हर स्थितीयों को सामना करने के लिए नीतियों की रचना की थी। उनकी नीतियों को आज के समय में भी याद किया जाता है। कई बार लाइफ में कुछ ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं, जोकि व्यक्ति की समझ से बाहर होती है, कि ऐसी स्थिति में क्या किया जाए और क्या नहीं। ऐसे में हम आपको चाणक्य द्वारा लिखी नीति के बारे में बताने जा रहे हैं। 

श्लोक
कष्टं च खलु मूर्खत्वं कष्टं च खलु यौवनम्। 
कष्टात् कष्टतरं चैव परगेहे निवासनम्।। 
अर्थात- मूर्खता कष्ट है, यौवन भी कष्ट है, किन्तु दूसरों के घर में रहना कष्टों का भी कष्ट है।

आचार्य का कहना है कि मूर्खता व्यक्ति की सबसे बड़ा दुख का कारण बताया है। क्योंकि जो लोग अपनी लाइफ में बेवजह दुखी रहते हैं, वे मूर्ख ही कहलाते हैं। ऐसा इंसान किसी भी काम में तरक्की हासिल नहीं कर सकता है और न हीं अपने किसी काम को अकेले कर पाता है। 

चाणक्य अनुसार जवानी यानि युवा अवस्था भी दुख का एक कारण बन जाती है। क्योंकि ये उम्र का ऐसा पढ़ाव होता है जब व्यक्ति में जोश और क्रोध होता है। कोई व्यक्ति तो अपने जोश का सही इस्तेमाल लक्ष्यों को प्राप्त करने में कर लेता है तो कई जोश में होश गवांकर अपना जीवन मुश्किलों में डाल देते हैं।

पराए घर में रहने से कई प्रकार की मुश्किलें व्यक्ति के सामने आती है। जिनका कई बार सामना कर पाना उसके लिए कठिन हो जाता है। इसके साथ ही दूसरे के घर में रहने से आपकी आजादी खत्म हो जाती है। जिससे व्यक्ति अपनी मर्जी से कोई कार्य नहीं कर पाता है।

Lata

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