चाणक्य नीतिः हर किसी के जीवन में जरूरी हैं ये चीज़ें

Friday, Aug 09, 2019 - 11:52 AM (IST)

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आज के समय में भी चाणक्य द्वारा लिखी गई नीतियों को याद किया जाता है। क्योंकि चाणक्य की नीतियां इतनी महत्वपूर्ण हैं कि अगर कोई उन्हें अपनी जीवन में उतार ले तो उसकी लाइफ बदल सकती है। जिस तरह उन्हेंने अपनी नीतियों से चंद्रगुप्त मौर्य को राजा बना दिया था, उसी तरह उनकी नीति आज भी उतनी ही कारगर साबित हो सकती है। 

पैसा कमाने की चाह तो हर किसी में होती ही है, लेकिन आज के इस दौर में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो पैसे से ज्यादा अपने मान-सम्मान का ख्याल रखते हैं और उसी की चाह रखते हैं। ठीक उसी तरह चाणक्य बताते हैं कि व्यक्ति को केवल 4 चीज़ों का ही ध्यान रखना चाहिए। आचार्य का कहना है कि अगर उन चीज़ों का ज्ञान और महत्व पता चल जाए तो उसे किसी अन्य वस्तु की आवश्यकता नहीं रहती है।

श्लोक
नात्रोदक समं दानं न तिथि द्वादशी समा। 
न गायत्र्या: परो मन्त्रो न मातुदैवतं परम्।। 
 
आचार्य चाणक्य ने अपने श्लोक में कहा है कि अन्न और जल के समान कोई दान नहीं है। जो व्यक्ति भूखे को अन्न और प्यासे को पानी पिलाता है, वह एक अच्छा इंसान है। ऐसे व्यक्ति की देवी-देवता भी सुनते हैं। इसलिए मनुष्य को जीवन में समय-समय पर अन्न का दान करते रहना चाहिए।

चाणक्य ने हिंदू महीने की द्वादशी तिथि को सबसे पवित्र कहा है। क्योंकि यह तिथि भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की होती है। जो व्यक्ति हिंदू पंचांग की बारहवीं तिथि को यानी कि द्वादशी तिथि को पूजा-अर्चना और उपवास रखता है उसे भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

गायत्री मंत्र हिंदू धर्म के प्रमुख मंत्रों में से एक है। चाणक्य ने कहा है कि इस गायत्री मंत्र से बढ़कर कोई मंत्र नहीं है। ऋर्षियों ने भी गायत्री मंत्र को बहुत ही प्रभावशाली मंत्र बताया है। इस मंत्र का जप करने से आयु, प्राण, शक्ति, कीर्ति, धन और ब्रह्मतेज प्राप्त होता है। मां गायत्री को वेदमाता कहा जाता है अर्थात सभी वेदों की उत्पत्ति इन्हीं से हुई है।

श्लोक के अंत में चाणक्य ने माता को इस संसार में सबसे बड़ा तीर्थ देवता या गुरु बताया है। माता की सेवा से ही समस्त तीर्थों की यात्रा का पुण्य प्राप्त होता है। माता के चरणों में ही सभी देवता और तीर्थ हैं।

Lata

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