व्यापारियों में होने चाहिए ये गुण वरना जीवन में केवल मिलती है असफलता

Friday, Sep 18, 2020 - 04:07 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र लगभग जीवन के हर सूत्र के बारे में बताया है। जिनके बारे में कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति इन बातों को अपने जीवन में अपना लेता है तो उसको अपनी लाइफ में सफलता तो मिलती है साथ ही साथ उसे जीवन जीने का सही सलीका आता तथा सही-गलत की पहचान होती है। चाणक्य की मानें तो सही गलत की पहचान होना जीवन से जुड़े प्रत्येक कार्य क्षेत्र के बारे में होना ज़रूरी है। आज हम बात करेंगे कि चाणक्य द्वारा बताए गई बिजनेस के सूत्रों की, जिसमें इन्होंने बताया है कि किसी भी व्यापारी को अपने व्यापार को तरक्की और सफलता की ओर कैसे ले जाना चाहिए। 

चलिए आपको बताते हैं कि कैसे कोई भी व्यक्ति कैसे सरलता से अपने कारोबार को अच्छा कर सकता है- 

रिस्क लें
आचार्य चाणक्य के अनुसार जो जातक अपने बिज़नेस को प्रगति की ओर ले जाना चाहता हो, उसे कभी भी किसी प्रकार का रिस्क लेने से नहीं घबराना चाहिए। क्योंकि इनका कहना है कि व्यापार अपने आप में जोखिम का ही क्षेत्र होता है। जो व्यक्ति सारी परिस्थिति की जांच-पड़ताड़ करने के बाद रिस्क लेता है वह कभी अपने व्यापार में असफल नहीं होता। इसके अलावा प्रत्येक व्यापारी को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कभी भी किसी भी काम को टालना चाहिए। ऐसा लोग हमेशा अपने जीवन में ठीकर खाता है। सदैव कुश व्यक्ति अपने व्यापार को अच्छे मुकाम पर ले जाता है।

साहसी बनें
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यापारी व्यक्ति को हमेशा साहस बंधाकर रखना चाहिए। बल्कि व्यापारी में इतना साहस होना चाहिए कि अगर अपने बिज़नेस की तरक्की के लिए उसे सात-समंदर पार भी जाना पड़े तो उसे किसी प्रकार को कोई हिचकिचाहत न हो। चाणक्य के नीति सूत्र की मानें तो किसी भी व्यापारी के लिए कोई सीमाएं नहीं होती। जो अपने काम में किसी भी प्रकार की कोई रखता है उसके सफल होने के आसार कम नहीं बल्कि न के बराबर होती है। 

रणनीति तैयार करें 
जो व्यक्ति बिना रणनीति बनाकर अपने व्यापार को बढ़ाने में लगा रहता है, उसे सफलता नहीं बल्कि असफलता का सामना करना पड़ता है। चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने जीवन का हर कार्य रणनीति बनाकर करता है वो हमेशा हर क्षेत्र सफल ही होते हैं। 

अनुशासन के साथ-साथ करें कठिन परिश्रम
किसी भी तरह की सफलता पाने के लिए परिश्रम तो ज़रूरी होता है, मगर यदि ये परिश्रम अगर अनुशासन में रहकर न हो तथा परिश्रम में अधित कठोर न हो तो सफलता मिलने के कम आसार होते हैं। इसलिए चाणक्य बताते हैं प्रत्येक व्यापारी व्यक्ति को हमेशा अनुशासन में रहकर हर कार्य करना चाहिए साथ ही अपने परिश्रम में अपना 101 % देना चाहिए। 
 

Jyoti

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