Chanakya Niti- ‘छोटे’ का सहारा लेकर ‘बड़े’ से दुश्मनी न करें

Friday, Sep 16, 2022 - 02:12 PM (IST)

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आचार्य चाणक्य जी ने अपनी नीतियों से कई बार मनुष्य को प्रेरित किया है। कहा जाता है इन नीतियों से न केवल लोग प्ररित होते हैं बल्कि इनकी बताई बातों को अपने जीवन में अमल करके सफलता के मार्ग पर चलते हैं। चाणक्य नीति सूत्र में मानव जीवन से जुड़े हर पहलू के बारे में वर्णन है जैसे मानव जीवन, रिश्ते, परिवार, नौकरी, कारोबार आदि। कहा जाता है चाणक्य जी की बातें भले ही होती कठोर मानी जाती हैं लेकिन उनकी दी गई सीख अगर मनुष्य अपने जीवन में उतार ले तो व्यक्ति सफलता ही नहीं पाता बल्कि समाज में मान-सम्मान भी प्राप्त कर लेता है। तो चलिए जानते हैं कुछ ऐसी बातें जिन्हें अपनाने से दुश्मनों को परजित करना हो जाता है आसान-    

चाण्क्य नीति श्लोक
एरण्डमवलम्ब्य कुंजरं न कोपयेत।
‘छोटे’ का सहारा लेकर ‘बड़े’ से दुश्मनी न करें
अर्थ: एरंड वृक्ष का सहारा लेकर हाथी को अप्रसन्न न करें।
भावार्थ: इसका भाव है कि किसी छोटे से देश का सहारा लेकर राजा को बड़े और शक्तिशाली देश से शत्रुता नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से बड़े राजा के आक्रमण का भय उपस्थित हो जाता है और आक्रमण हो जाने पर सिवाय विनाश के कुछ हाथ नहीं आता।
 

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चाण्क्य नीति श्लोक
‘साहसी’ ही ले सकते हैं ‘बलवान’ से टक्कर
अतिप्रवृद्धा शाल्मली वारणस्तम्भो न भवति।

अर्थ: पुराना होने पर भी शाल के वृक्ष से हाथी को नहीं बांधा जा सकता।
भावार्थ: बलवान व्यक्ति से वे ही टक्कर ले सकते हैं जिनमें साहस होता है। शरीर से हृष्ट-पुष्ट हो जाने से ही कोई व्यक्ति साहसी नहीं हो जाता। शाल का वृक्ष कितना ही बड़ा क्यों न हो यदि वह पुराना और जर्जर हो चुका है तो हाथी को उसके साथ नहीं बांधा जा सकता।

Jyoti

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