Chanakya Niti: मत करो ‘असत्य वचनों’ का प्रयोग

Sunday, Aug 21, 2022 - 11:32 AM (IST)

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कहते हैं मुख से निकला शब्द और बीता हुआ समय कभी वापिस नहीं आता। इसलिए बड़े-बुजुर्ग बचपन से अपने घर में मौजबद छोटे-बड़े को समझाते हैं कि किसी को भी कुछ कहने से पहले कम से कम एक बार सोच-विचार जरूर करना चाहिए। बता दें इस संदर्भ के बारे में धार्मिक शास्त्रों में भी वर्णन किया गया है। इतना ही नहीं चाणक्य नीति सूत्र में आचार्य चाणक्य ने भी इससे जुड़ी जानकारी दी है। तो चलिए जानते हैं कुछ ऐसे ही चाणक्य के नीति सूत्र में वर्णित चाणक्य नीति श्लोक-

चाणक्य नीति श्लोक-
स्तुता अपि देवता स्तुष्यन्ति।
सदैव ‘मधुर वचनों’ का प्रयोग करें

अर्थ: स्तुति करने से देवता भी प्रसन्न हो जाते हैं।

भावार्थ: जब स्तुति करने से अदृश्य परमात्मा भी प्रसन्न हो जाते हैं तब प्रेमपूर्ण वचनों से आपके सामने वाला व्यक्ति क्यों नहीं प्रसन्न होगा। अत: मनुष्य को सदैव मधुर वचनों का ही प्रयोग करना चाहिए।

चाणक्य नीति श्लोक-
अनृतपति दुर्वचनं चिरं तिष्ठति।
मत करो ‘असत्य वचनों’ का प्रयोग

अर्थ: झूठे अथवा दुर्वचन लंबे समय तक स्मरण रहते हैं।

भावार्थ: यदि कोई व्यक्ति असत्य वचनों से किसी को हृदय दुख देता है तो वे दुर्वचन ल बे समय तक उसके मन को कचोटते रहते हैं। अत: कभी असत्य वचन कह कर किसी के हृदय को चोट नहीं पहुंचानी चाहिए।

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चाणक्य नीति श्लोक-
श्रुतिसुखाकोकिलालापात्तुष्यन्ति।
हमेशा करें मधुर बातें

अर्थ: कोयल की कूक सबको अच्छी लगती है।

भावार्थ: कोयल रंग से काली होती है पर उसकी आवाज अत्यंत मधुर होती है। वह सभी को अपनी ओर आकर्षत कर लेती है। अत: राज दरबार या राज कर्मचारियों के समुख सदैव मधुर आवाज में बात करनी चाहिए।

चाणक्य नीति श्लोक-
राजद्विष्ट न च वक्तव्यम्।
न करो राजद्रोह वाली बातें

अर्थ: जिन वचनों से राजा के प्रति द्वेष उत्पन्न होता हो ऐसे बोल नहीं बोलने चाहिएं।

भावार्थ: राजा के प्रति राजद्रोह को प्रकट करने वाला भाषण कभी नहीं देना चाहिए।

Jyoti

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