Chanakya Niti: ‘याचकों’ की उपेक्षा उचित नहीं

Sunday, Jul 10, 2022 - 01:22 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आचार्य चाणक्य एक ऐसे विद्वान थे जिनकी सीख कल जितनी प्रासंगिक थी, आज भी उतनी उपयोगी है। आप भी अपना जीवन संवारना या दुष्प्रभावों से मुक्ति चाहते हैं तो इनके द्वारा लिखी गई नीतियों में बहुत सी ऐसी बातें जानने को मिलेंगी, जिनसे आप खुद को सफल और हर कार्य के लिए सक्षम बना सकते हैं। कहा जाता है इनकी बातें भले ही थोड़ी कठोर क्यों न हों लेकिन व्यक्ति प्रेरित साबित होती है। आचार्य चाणक्य ने अपने नीति सूत्र में मानव जीवन के हर पहलू के बारे में बात की है जैसे जीवन, समाज, नौकरी, व्यापार, मित्र, शत्रु, परिवार, स्त्री आदि। तो आईए जानें कुछ ऐसी बातें, जिन्हें अपनाने वाले व्यक्ति को कभी भी हार का मुंह नहीं देखना पड़ता।

‘विनम्रता’ का महत्व
चाणक्य नीति श्लोक-
अकुलीनोऽपि विनीत: कुलीनाद्विशिष्ट:।
भावार्थ : जो कुलीन न होकर भी विनीत है, वह श्रेष्ठ कुलीनों से भी बढ़ कर है। विनम्रता के कारण ही व्यक्ति का समाज में आदर होता है। एक व्यक्ति जो कुलीन घर में उत्पन्न नहीं हुआ, पर विनम्र है, ऐसा व्यक्ति अहंकारी कुलीनों से बहुत बड़ा और श्रेष्ठ है।


‘याचकों’ की उपेक्षा उचित नहीं
चाणक्य नीति श्लोक-
नार्थिष्ववज्ञा कार्या।
भावार्थ : मनुष्य का धर्म है कि जो आपके दरवाजे पर भिक्षा मांगने आया है, उसे अपनी सामथ्र्य के अनुसार दान अवश्य दें। हमें उसकी विवशता को समझना चाहिए।

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विनय सबका आभूषण है
चाणक्य नीति श्लोक-
सर्वस्य भूषणं विनय:।
भावार्थ : सत्य का आचरण करने  वाला और विद्याधर व्यक्ति ही विनम्र हो सकता है क्योंकि कहा गया है- ‘विद्या ददाति विनय।’ अर्थात विद्या से विनय प्राप्त होता है जिसमें विनम्रता का भाव है, वह व्यक्ति पूरे समाज का आभूषण है।

गुरु की भक्ति
चाणक्य नीति श्लोक-
गुरुदेवब्राह्मणेषु भक्तिर्भूषण।
भावार्थ : गुरु, देवता और ब्राह्मण में भक्ति ही भूषण है। जो व्यक्ति अपने गुरु, देवता और ब्राह्मण में भक्तिभाव रखता है और उनकी सेवा करता है, वह व्यक्ति पूरे समाज में अलंकार के समान है।
 

Jyoti

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