दुश्मन से रहना है बचकर तो करें आचार्य चाणक्य को Follow

Tuesday, Jun 21, 2022 - 02:20 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आचार्य चाणक्य एक ऐसे विद्वान हैं जिनकी बातें व नीतियां जान-सुनकर न केवल आज की पीढ़ी प्रेरित होती है बल्कि इन पर अमल भी करती है। कहा जाता है चाणक्य की इन नीतियों को अपनाने से न केवल ज्ञान प्राप्त होता है बल्कि जीवन सरल व सफल भी होती है। कहा जाता है आचार्य चाणक्य ने अपने नीति सूत्र में मानव जीवन से जुड़ी लगभग हर प्रकार की बात को अपने शब्दों द्वारा व्यक्ति तक पहुंचाने का प्रयास किया है। ताकि हर वर्ग के लोग इसे जानने के बाद इससे लाभ उठा सके। क्योंकि जैसे की हमने उपरोक्त बताया कि जो व्यक्ति इनके द्वारा बताई गई नीतियों पर केवल अमल करने का विचार भी बना लेता है, वो जीवन में सफलता के समीप पहुंचने लगता है। जिससे बिखरता हुआ जीवन निखर जाता है। तो आइए जानते हैं चाणक्य नीति सूत्र में बताई गई कुछ खास बातें-  

इतना तो सब जानते हैं कि हर व्यक्ति के जीवन में जहां एक तरफ खास दोस्त होते हैं वहीं दूसरी ओर प्रत्येक व्यक्ति के कुछ शत्रु भी होते हैं। जो हमेशा उसकी सफलता के मार्ग के रोड़े बनकर आगे आते हैं। कुछ लोग अपने शत्रुओं से डरकर अपनी सफलता तो छोड़ते ही हैं, साथ ही साथ अपनी हिम्मत और साहस भी छोड़ देते हैं। इस संदर्भ में चाणक्य की माने तो जो व्यक्ति सफल और बुद्धिमान होते हैं, उनके मन से कभी किसी प्रकार के शत्रु का भय नहीं रहता। अर्थात वो निडर हो जाते हैं। ऐसे लोगों के शत्रु चाहकर भी उन्हें हानि नहीं पहुंचा पाते। जिसके परिणाम स्वरूप अंत में शत्रु असफल और आप सफल होते हैं। इसके अलावा शत्रु से निपटने के लिए आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में कुछ और बातों का जिक्र किया है, आइए जानते हैं क्या है वो बातें-

अक्सर देखा जाता है कि थोड़ी सी पॉवर व दर्जा प्राप्त होने के बाद हर किसी को अपने से कम व कमजोर समझने लगते हैं। परंतु ऐसा करना कभी कभी बेहद नुक्सान दायक साबित होता है। जी हां, चाणक्य कहते हैं कि खास तौर पर किसी व्यक्ति को कभी अपने दुश्मन को कमजोर नहीं समझना चाहिए। जो लोग ऐसा करते हैं उनके शत्रु उनकी इसी गलती का फायदा उठा लेते हैं।


सफलता पाने के बाद अक्सर लोगों में अहंकार भर जाता है। चाणक्य नीति के अनुसार किसी भी व्यक्ति की ये भूल उम्र भर पछताने का कारण बन जाती है। इसलिए शत्रु से निपटने के लिए हमेशा सचेत रहें और अपने आंख कान सदैव खुले रखें और सबसे महत्वपूर्ण बात अहंकार को खुद पर हावी न होने दें अगर एक बार अहंकार आप पर हावी हो गया तो आपको बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता।

इसके अतिरिक्त चाणक्य नीति कहती है कि अगर शत्रु को हराना हो तो सबसे जरूरी है अपने गुस्से पर नियंत्रण रखना। क्रोध एक ऐसी आदत है, जिसका शत्रु मौका मिलते ही लाभ उठाने की कोशिश करता है। अतः इसे नियत्रिंत करना आवश्यक होता है। इस संदर्भ में चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को मुश्किल समय से बाहर आने के लिए खुद पर काबू रखना चाहिए नहीं तो बाद में व्यक्ति हाथ मलता रहा जाता है। अतः व्यक्ति को सोच समझकर और धैर्य से काम लेना चाहिए, तभी वह शत्रुओं पर विजया हासिल करने में सक्षम हो पाता है।

Jyoti

Advertising