Niti Sutra: दुश्मनों को करना चाहते हैं पराजित तो अपने अंदर पैदा करें ये चीज़ें

Monday, May 09, 2022 - 12:11 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ 
"शत्रु" ये एक ऐसा शब्द है जिसे कोई भी अपने जीवन में नहीं चाहता है। जी, हर व्यक्ति यही कामना करता है किउसका कोई शत्रु न बने। परंतु बात करें आज कल के समय की तो शत्रु पैदा होना बेहद साधारण हो गया है। जो व्यक्ति जीवन में अधिक कामयाबी पा लेता है, उसके पास दुनिया की हर सुख-सुविधा हो, वह सुख-समृद्धि वाला जीवन व्यतीत कर रहा होता है उसका कोई शत्रु नहीं, बल्कि अनेकों शत्रु पैदा हो जाते हैं। ऐसे में ऐसे व्यक्ति को सदैव अपने शत्रुओं का भय सताता रहता है। जिस कारण वह अपने जीवन को आंनदमय होकर नहीं बिता पाता। अब सवाल ये है कि आखिर ऐसे हालात में व्यक्ति को क्या करना चाहिए। तो आपको बता दें आचार्य चाणक्य अपने नीति सूत्र में इस बारे में बाखूबी वर्णन किया गया है। उन्होंने अपने नीति सूत्र में इससे जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताई है, जिनका ध्यान रखने से न केवल शत्रुओं से छुटकारा मिल सकता है, बल्कि शत्रु पराजित हो जाते हैं। तो आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य से क्या है ये खास बातें- 

आचार्य चाणक्य अपने नीति सूत्र में बताते हैं हर व्यक्ति को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि शत्रु आपकी कमजोर परिस्थितियों का लाभ न उठा पाएं, क्योंकि अक्सर शत्रु कमजोर स्थिति में कुछ ऐसा करने का प्रयास करते हैं, जिससे व्यक्ति बर्बाद होने की कगार तक पहुंच जाता है। इसके अलावा ये भी ध्यान रखें कि किसी भी हालात में अपने शत्रु को कभी नजरअंदाज़ न करें, चाणक्य के अनुसार जब व्यक्ति लापरवाह होता है तो शत्रु अपनी चाल चल जाता है। चाणक्य ने अपने नीति सूत्र में कहा बै, हर सफल व्यक्ति   का कोई न कोई शत्रु जरूर होता है, बल्कइ जितना इंसान सफल होता है उतना ही सफल होता है, इसलिए शत्रुओं को लेकर व्यक्ति को हमेशा सचेत रहना चाहिए। वरना शत्रु  न केवल सफलता के मार्ग में अवरोध बनते हैं बल्कि व्यक्ति को हर तरफ से बर्बाद करने की कोशिश करते हैं। 

इसके अतिरिक्त आचार्य चाणक्य कहते हैं कि किसी भी व्यक्तिको अपने दुश्मनों को पराजित करने के लिए स्वयं की शक्ति को निरंतर तौर पर बढ़ाते रहना चाहिए। चाणक्य के अनुसार जितना ज्यादा आप शक्तिशाली होंगे उतना ही शत्रु आप पर हमला करने से घबराता है। कहा जाता है जिस प्रकार से व्यक्ति को शरीर को कोई रोग कमजोर करता है, ठीक उसी प्रकार से शक्ति क्षीण होने पर शत्रु हमला करने से पहले कई बार सोच-विचार करता है। इसलिए शत्रु से जीत पानी हो तो लगातार अपने शक्ति, कुशलता व ज्ञान में वृद्धि करने रहना चाहिए। 

Jyoti

Advertising