चाणक्य नीति: दूसरों के दुःख से इन लोगों को नहीं पड़ता फर्क

Wednesday, Mar 30, 2022 - 06:51 PM (IST)

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चाणक्य ने अपने नीति सूत्र में न केवल मानव जीवन से जुड़ी बातों के बारे में बताया है बल्कि इसमें ऐसे भी कई नीति सूत्रों के बारे में बताया है जिससे किसी भी इंसान के स्वभाव आदि को जाना जा सकता है। आज हम आपको चाणक्य के कुछ ऐसे ही नीति सूत्र बताने जा रहे हैं, जिसमें आचार्य चाणक्य ने उनके बारे में विवरण किया है जिन्हें कभी किसी के दुख-दर्द से कोई फर्क नहीं पड़ता, यानि वो किसी के दुख में दुखी नहीं होते। तो आइए जानते हैं कौन हैं वो लोग- 

इस सूची में सबसे पहला नाम शामिल है राजा का। चाणक्य के अनुसार राजा यानि शासन व्यवस्था को दूसरे लोगों के दुख दर्द से कभी दर्द नहीं होता है। ऐसा कहा जाता है क्योंकि उन्हें कानून के नियमों की पालन हुए निष्पक्ष फैसला लेना होता है। यदि वे सभी की भावनओं की चिंता में फंसते हैं तो वो सच को अनदेखा कर सकते हैं। 

चाणक्य के अनुसार राजा के बाद वैश्या के स्वभाव भी ऐसा होता है, जिसे केवल अपने काम और पैसों से मतलब होता है। उसे किसे के दुख से कोई फर्क नहीं पड़ता, फिर चाहे कोई कितने भी दुख दर्द से गुजर रहा हो। 

इसके बाद बात करते हैं छोटे बच्चों की,क्योंकि उनके मस्तिष्क की इतनी क्षमता नहीं होती कि वो किसी के सही गलत की पहचान कर सके। वो भावनाओं व तकलीफों आदि से परे होते हैं, इसलिए उन्हें भी ऐसे लोगों में शामिल किया गया हैं जिन्हें किसी के दुख-दर्द से फर्क नहीं पड़ता। 


आचार्य चाणक्य कहते हैं अग्नि या आग की प्रकृति ही जलाने की होती है। इसलिए प्राणियों व जीवों की तकलीफों का उस पर कभी किसी प्रकार का कोई असर नहीं होता। अग्नि बिना किसी भेदभाव के अपनी चपेट में आने वाली हर चीज को भस्म कर देती है। अर्थ उसे किसी के दु:ख-दर्द से कोई फर्क नहीं होता।

इसके बाद बारी आती है चोर की, चाणक्य के अनुसार इसे भी कभी किसी के दुख की परवाह नहीं होती। चोर को तो केवल अपनी चोरी करने से मतलब होता है। उसे बस सामान चोरी करके भागना है, वह इस बारे में विचार कभी नहीं करता, उसके इस काम का भुगतान किसे कैसे भुगतना पड़ सकता है। 

 

Jyoti

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