चाणक्य नीति सूत्र: खुद पर विश्वास करने वाले ‘मुहूर्त’ नहीं देखते

Sunday, Mar 06, 2022 - 01:15 PM (IST)

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चाणक्य नीति श्लोक- 
न त्वरितस्य नक्षत्र परीक्षा 

अर्थ- अपने कार्य की शीघ्र सिद्धि चाहने वाला व्यक्ति नक्षत्रों की परीक्षा नहीं करता जिन्हें अपने ऊपर तथा अपने साधनों पर पूरा विश्वास होता है, वे नक्षत्रों के चक्कर में नहीं पड़ते। उनका कार्य भी शीघ्र होता है। आत्मविश्वास उनका सबसे बड़ा सहायक होता है।

‘परिचय’ हो जाने के बाद दोष नहीं छिपते 

चाणक्य नीति श्लोक- 
परिचये दोषा न छाद्यन्ते।

अर्थ- जब कोई व्यक्ति किसी से परिचित हो जाता है तब शनै:शनै: उसके सभी गुण-दोष खुलते चले जाते हैं।

 ‘लक्ष्य’ के बिना जीवन व्यर्थ

चाणक्य नीति श्लोक- 
न पुष्पार्थी सिंचति शुष्कतरुम्

अर्थ- फूलों की इच्छा रखने वाला सूखे पेड़ को नहीं सींचता। हर व्यक्ति के जीवन का एक लक्ष्य होता है। वह अपने उसी लक्ष्य को पाने के लिए प्रयत्नशील रहता है। इधर-उधर की बातों में वह अपना समय नष्ट नहीं करता।

‘परिश्रम’ बिना धन प्राप्ति नहीं

चाणक्य नीति श्लोक- 
अद्रव्यप्रयत्नों बालुकाक्वाथनादनन्य:।

अर्थ- बिना प्रयत्न के धन प्राप्ति की इच्छा करना बालू में से तेल निकालने के समान है। धन प्राप्ति के लिए मनुष्य को एक निश्चित योजना के तहत कार्य करना पड़ता है, तभी वह धन प्राप्त कर पाता है। जो प्रयत्न नहीं करता, ऐसा आलसी व्यक्ति व्यर्थ में ही बालू में से तेल निकालने जैसी हरकत करता है।  

 


 

Jyoti

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