चाणक्य नीति के इस श्लोक से जानें करें स्वार्थी व्यक्ति की पहचान

Wednesday, May 26, 2021 - 02:07 PM (IST)

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आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में उल्लेख किया है कि हर किसी को अपने जीवन मे स्वार्थी लोगों से दूरी बनाकरर रखनी चाहिए। क्योंकि ऐसे लोग केवल अपना भला चाहते हैं और इसके लिए उन्हें जो भी करना चाहते हैं करते हैं। इसलिए जितना हो सक स्वार्थी लोगों से दूरकर रहकर उन लोगों की संगति में जाना चाहिए जो स्वार्थ रहित हो। जो व्यक्ति स्वार्थ रहित होता है वो दूसरों के फायदों के बारे में सोचता है। इतना ही नहीं वो अपने बारे में बाद में विचार करते हैं और दूसरों के बारे में पहले। मगर सावल ये है कि स्वार्थी व्यक्ति इंसान को पहचाना कैसे जाए? 

तो आपको बता दें आपकी इस समस्या का समाधान भी आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में किया है। जी हां, उन्होंने अपने नीति शास्त्र से बताया है कि स्वभाव से पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति स्वार्थी है या नहीं। तो आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य के इसे श्लोक के बारे में जिसमें उन्होंने बताया है कि स्वार्थी व्यक्ति का स्वभाव से ऐसे संकेत मिलते हैं जिससे इस बात की ओर इशारा हो जाता है, सामने वाला हर हालाता में केवल अपने स्वार्थ सिद्ध करना चाहता है। 

यहां जानें अर्थ व भाव सहित चाणक्य नीति के श्लोक- 

संकेत ‘स्वार्थी स्वभाव’ के
‘चाणक्य नीति श्लोक’-
चिरपरिचितानामत्युपचार: शंकितव्य:।

अर्थ : बहुत दिनों से परिचित व्यक्ति की अत्यधिक सेवा शंका को जन्म देती है।
भाव : जो व्यक्ति काफी दिनों से परिचित है और उसके स्वभाव से आप अच्छी तरह परिचित हैं लेकिन यदि अचानक वह अत्यधिक सेवा भाव प्रदर्शित करने लगे और उपहार आदि देने लगे तो शंका होने लगती है कि जरूर इसका कोई स्वार्थ है, जिसे यह पूरा करना चाहता है।

इसके अलावा आचार्य बताते हैं कि एक राजा को किन बातों का ख्याल रखना चाहिए- 

एक ‘बिगड़ैल गाय’ सौ कुत्तों से श्रेष्ठ
‘चाणक्य नीति श्लोक’-
गौर्दुष्करा श्वसहस्रदेकाकिनी श्रेयसी।

अर्थ : एक बिगड़ैल गाय सौ कुत्तों से ज्यादा श्रेष्ठ है।
भाव : राजा को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उसके निकट जो लोग हैं वे कैसे हैं? उनमें यदि एक विपरीत स्वभाव का व्यक्ति है और राजा का परम हितैषी है तो वह व्यक्ति उन सौ लोगों से श्रेष्ठ है जो राजा की चाटुकारिता में लगे रहते हैं। 
 

Jyoti

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