चाणक्य नीति: जीवन में एक ही बार करना चाहिए कन्या दान!

Wednesday, Jul 08, 2020 - 04:32 PM (IST)

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आचार्य चाणक्य की नीतियां आए दिन हम आपको अपनी वेबसाइट के माध्यम से बताते रहते हैं। आज भी हम आपके लिए लाएं चाणक्य द्वारा बताई गई ऐसी खास बातें जिसमें उन्होंने बताया है कि कैसे आप किसी पर भी अपना असर छोड़ सकते हैं। और आज के समय की बात करें तो हर कोई चाहता है उनके व्यक्तित्व की छाप सामने वाले पर हमेशा हमेशा के लिए रह जाए। मगर आज के समय में ये कर पाना थोड़ा कठिन है। मगर आपको बता दें इस कठिन काम को आप आसान कर सकते हैं। कैसे? आचार्य चाणक्य की मदद से। जी, इनके नीतिशास्त्र में शायद ही कोई ऐसा विषेय होगा जिसके बारे में बात नहीं की होगी। पुरुष हो या स्त्री हर किसी के जीवन में इनकी नीतियां सहायक होती हैं। तो चलिए देर न करते हुए जानते हैं इनके द्वारा बताई गई खास बातें- 

चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में एक श्लोक दिया है जिसमें उन्होंने मनुष्य को ऐसी बातें बतानी चाही हैं जिन्हें व्यक्ति को दोहराना कभी नहीं चाहिए, ऐसा कहा जाता है इन्हें दोहराने से व्यक्ति का सम्मान कम हो जाता है। 

श्लोक-
सकृज्जल्पन्तिराजान: सकृज्जल्पंतिपंडिता: सतकृत्कन्या: प्रदीयन्तेत्रीण्येतानिसकृत्सकृत्।।

चाणक्य के इस श्लोक का अर्थ है का राजा को अपनी प्रजा या सिपाहियों आदि को सिर्फ एक ही बार आज्ञा या आदेश देना चाहिए, ऐसा इसलिए कहा जाता है कि अगर एक बार में आदेश का पालन न हो तो दूसरी बार उस बात को दोहराने से कोई फायदा नहीं होता, बल्कि ऐसा करने से केवल राजा का सम्मान कम होता है। 

इसके बाद चाणक्य बताते हैं पंडितों एवं पुरोहितों द्वारा किए गए मंत्रोच्चारण को हमेशा पहली बार में ही ध्यान पूर्वक सुनना और समझना चाहिए। ऐसा कहा जाता है ऐसे करने में मंत्रों की प्रतिज्ञा दृढ़ होती है। तो वहीं अगर मंत्रों का उच्चारण दोबारा किया जाए तो मंत्रों का अर्थ तक बदल जाता है।


चाणक्य के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में हमेशा एक ही बार कन्या दान करना चाहिए क्योंकि शास्त्रों में इसे महादान माना जाता है।  
 

Jyoti

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