Chanakya Gyan: जितना हो सके, इन चीज़ों से बनाएं दूरी

Friday, Jul 10, 2020 - 05:58 PM (IST)

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आचार्य चाणक्य द्वारा रचित चाणक्य नीति सूत्र में ऐसा बहुत कुछ बताया गया है जो मानव जीवन के लिए बेहद लाभदायक होता। शास्त्र में इनके वर्णन के बारे में को देखा जाए तो उसमें इनको वेदों और शास्त्रों के ज्ञाता बताया गया है। इनके इसे ज्ञान आदि के कारण इन्हें महान कूटनीतिज्ञ के नाम से भी जाना जाता था, बल्कि आज भी जाना जाता है। इन्होंने अपने ज्ञान के दम पर न केवल समाज में मान-सम्मान प्राप्त किया बल्कि अपनी अलग पहचान बनाई। आज हम आपको इनकके द्वारा बताए गए उन चीज़ों के बारे में बताने वाले हैं जिनसे हर व्यक्ति को दूरी बनाकर रखना चाहिए। आइए देर न करत हुए जानते हैं चाणक्य द्वारा बताए गए इस श्लोक के बारे में- 

चाणक्य नीति श्लोक- 
अत्यासन्ना विनाशाय दूरस्था न फलप्रदा:। 
सेवितव्यं मध्याभागेन राजा बहिर्गुरू: स्त्रियं:।।

अर्थ- आचार्य चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से बताते हैं कि जो व्यक्ति आर्थिक रूप से बलवान होता है, आग तथा स्त्री ये ऐसी चीज़ें होती हैं जिनसे व्यक्ति जितना दूर रहे उसका उतना ही भला होता है या यूं कहे कि प्रत्येक व्यक्ति को इन तीनों से संतुलित दूरी बनाकर रखना चाहिए। मगर ऐसा क्यों जानें आगे- 

आचार्य चाणक्य का मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति को इस राजा से या व्यक्ति से दूरी बनाकर रखनी चाहिए जो अधिक शक्तिशाली हो। क्योंकि अगर हनके ज्यादा करीब होता हैं तो इनके द्वारा हमारे सम्मान को चोट पहुंचाने का खतरा अधिक हो जाता है। इसके अलावा इनके द्वारा षडयंत्र का शिकार होने के आसार भी बढ़ जाते हैं। 

चाणक्य ये भी कहते हैं कि जो इंसान सामाजिक और आर्थिक रूप से अधिक बलवान होता है, वो भी आपको किसी भी प्रकार से नुकसान पहुंचाने में सक्षम होता है। इसलिए जितना हो सके इनसे गदूर रहना चाहिए। 

प्रत्येक व्यक्ति को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अाग यानि अग्नि के समीप नहीं जाना चाहिए, बल्कि जितनी अधिक दूरी हो सके, बनानी चाहिए। क्योंकि इससे दूर रहने पर लाभ तो कोई प्रप्त नहीं होता मगर यदि इसके पास जाया जाए तो भारी नुकसान होने का खतरा हो सकता है। 

आखिर में चाणक्य बताते हैं कभी भी स्त्री को कमज़ोर नहीं समझना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सृष्टि के निर्माण में जितना योगदान एक पुरुष का रहा है उतना ही स्त्री का भी है। चाणक्य का मामना है कि किसी स्त्री के अत्यधिक पास जाने से ईर्ष्या का भाव पैदा होता है तो ज्यादा दूर होने पर घृणा तथा निरपेक्षता प्राप्त होती है। इसलिए इनसे संतुलित दूरी बनाने में ही भलाई होती है। 

Jyoti

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