परिजनों का अधिकार छीनने वाला राजा खो देता है अपनी मान-मर्यादा

Sunday, May 31, 2020 - 04:40 PM (IST)

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चाणक्य नीति शास्त्र में आचार्य चाणक्य ने राजा से रंक तक नीतियों का वर्णन किया है। ऐसा कहा जाता इन नीतियों का समझने वाला इंसान अपने जीवन में कभी किसी प्रकार का धोखा नहीं खाता। क्योंकि महान विभूति मौर्य वंश की स्थापना में अपना योगदान देने वाले कूटनीतिज्ञ चाणक्य ने अपनी नीतिशास्त्र में किसी एक व्यक्ति के बारे में बल्कि हर तरह के व्यक्ति, जिसमें अमीर, गरीब, राजा, प्रजा, आदि शामिल हैं। तो वहीं इन्होंने अपने नीति शास्त्र में महिलाओं से जुड़ी भी कई बातें भी बताई हैं। मगर आज हम आपको बताने वाले हैं राजा के बारे में, जिसमें चाणक्य ने बताया है कि क्यों राजा को अपने परिजनों के अधिकारों का हनन नहीं करना चाहिए। 

आइए जानते हैं इस संदर्भ में चाणक्य द्वारा बताए गए श्लोक के  बारे में- 

श्लोक-
स्वजनेष्वतिक्रमो न कर्त्तव्य:। 

भावार्थ- इस श्लोक द्वारा चाणक्य कहते हैं कि किसी भी राजा को कभी भी अपने परिजनों के अधिकारों का हनन नहीं करना चाहिए और न ही उनकी जीवनचर्या में अनाधिकार हस्ताक्षेप ही करना चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने से राजा स्वयं ही समाज व अपनों में कमाया मान-सम्मान व मर्यादा नष्ट कर देता है।  

Jyoti

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