मुश्किल की घड़ी में क्या करना चाहिए, बताएं आचार्य चाणक्य

Saturday, Oct 03, 2020 - 02:55 PM (IST)

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आचार्य चाणक्य की नीतियां समय-समय पर हम अपने आर्टिकल के माध्यम से आपको देते रहते हैं। तो आज भी इस कड़ी को बरकरार रखते हुए हम आपको बताने वाले हैं इनके द्वारा बताई गई उन बातों के बारे में जिसमें इन्होंने बताया है कि संकट के समय प्रत्येक व्यक्ति को ध्यान में रखनी चाहिए। तो चलिए आपको बिल्कुल भी इंतज़ार न करवाते हुए बताते हैं अपने ज्ञान के दम पर सफलता की ऊंचाईयों पर पहुंचने वाले कुशल नीतिकार चाणक्य द्वारा बताए गए नीति सूत्र।

कहते हैं हर व्यक्ति के जीवन में एक समय में किसी न किसी प्रकार का संकट ज़रूर आता है। चाणक्य की मानें तो यही वो समय होता है कि जब इंसान को डटकर संकट का सामना करना चाहिए और खुद को इससे बाहर निकालना चाहिए। क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति के पास संकट काल में व्यक्ति के पास सीमित अवसर होते हैं परंतु चुनौतियां चट्टानों की तरह बड़ी लगती है। तो ऐसे समय में अगर इंसान ज़रूा सा भी चूक जाता है तो मुश्किलें कम होने की बजाए बढ़ जाती हैं। इसलिए चाणक्य कहते हैं कि संकट के समय हर किसी को सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। 

अक्सर देखा जाता है कि कुछ लोग संकट की स्थिति आने पर अपने परिवार के प्रति जिम्मेदारियों निभाने से पीछे हटने लगते हैं। मगा ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। बल्कि ऐसे में व्यक्ति को अपने परिवार की प्रति अधिक सचेत होना चाहिए। और उनकी सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए। ताकि अगर आपके साथ-साथ उनके ऊपर भी कोई परेशानी या मुसीबत आने वाली हो तो उससे आसानी से निकला जाा सके। 

आगे चाणक्य कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को संकटकाल की परिस्थितियों में अपनी सेहत का खास ख्याल रखना चाहिए, क्योंकि ऐसे समय में यही इंसान की सबसे बड़ी पूंजी होती है। चाणक्य के मुताबिक अगर इस दौरान इंसान की सेहत अच्छी नहीं होगी तो वह संकट काल से चाहकर भी बाहर नहीं निकल पाता। इसलिए मानसिक तथा शारीरिक रूप से तंदरुस्त होना अधिक आवश्यक होता है।

इसके बाद आचार्य चाणक्य के अनुसार संकट के समय के संकेत मिलते ही व्यक्ति को इससे उभरने के लिए पहले से ठोस रणनीति को तैया कर लेना चाहिए। चाणक्य कहते हैं जब कोई इंसान संकट काल के लिए पहले से ही तैयार रहता है और रणनीति बना लेता है तो वह व्यक्ति चरणबद्ध तरीके से कार्य करता हुआ अंत में विजय पाता है। चाणक्य कहते हैं जिन लोगों के पास आपातकालीन स्थिति में कोई रणनीति नहीं होती, उन्हें अपने भविष्य बड़े बड़े नुकसान झेलने पड़ते हैं। 

आखिर में बारे आती है धन की, चाणक्य का मानना है कि हर इंसान को अपने संकट के समय के लिए धन को संचित करके रखना चाहिए। और संकट समय में इंसना का सच्चा मित्र होता है धन। जिसके पास ऐसे समय के लिए पर्याप्त धन होता है, उसे इससे बचने में किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती है। 

Jyoti

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