संतान को कैसे बनाएं योग्य, आचार्य चाणक्य से जानें

Thursday, Mar 04, 2021 - 12:42 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
प्रत्येक माता-पिता की कामना होती है कि उनकी संतान एक योग्य संतान बने। प्राचीन समय की बात करें तो उस समय माता-पिता अपनी संतान को योग्य बनाने के लिए हर मुमकिन काम करते थे। मगर आज कल के मार्डेन समय में मां-बाप ऐसी इच्छा तो ज़रूर रखते है, मगर उन्हें योग्य बनाने के लिए मेहनत नहीं करते। जिस कारण संतान कई हालात में गलत राह पर चलने लगते हैं। क्योंकि कहा जाता है संतान ही कुल का नाम रोशन करती है तथा संतान ही कुल का नाम डुबोती है। इसलिए उनकी परवरिश बहुत अच्छे से करना चाहिए। आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में संतान तो योग्य कैसे बनाएं, इससे जुड़ी बातें बताई है। तो आइए जानते हैं- 

संतान को सदाचार गुणों से करें परिपूर्ण
प्रत्येक माता-पिता को चाहिए कि अपने संतान को सदाचारी गुणों से परिपूर्ण रखना चाहिए। चाणक्य कहते हैं केवल माता-पिता ही अपनी संतान को सदाचारी बना सकते हैं, क्योंकि संतान की प्रथम पाठशाला उसके घर से ही होती है। मां को शिक्षक तथा पिता को पाठशाला के प्राचार्य माना गया है। माता-पिता को बच्चे में ऐसे संस्कारों का निर्माण करना चाहिए जिससे वह अपने जीवन में श्रेष्ठ मुकाम हासिल कर सके। 

झूठ बोलने से रोकें
बच्चों का सत्य की राह पर चलना सिखाएं। उन्हें झूठ बोलने से रोकें। चाणक्य के अनुसार बच्चों में झूठ बोलने की आदत जल्दी पनपती है। इसलिए माता-पिता को इस स्थिति को लेकर गंभीरता से रहना चाहिए। उन्हें ऐसी शिक्षा प्रदान करें, जिससे वो इस आदत से दूर रहें। 

अनुशासन की उपयोगिता बताएं
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जीवन में संतान को योग्य और सफल बनाने के लिए उन्हें अनुशासन का महत्व बताना अधिक आवश्यक होता है। क्योंकि जिस व्यक्ति के जीवन में अनुशासन न हो उसे सफल होने के लिए अधिक संघर्ष करना पड़ता है।  

परिश्रम के लिए करें प्रेरित 
कुछ लोग अपने बच्चों को अधिक लाड-प्यार देते हैं जिस बच्चे आगे चलकर अपने जीवन में परिश्रम करने से कतराने लगते हैं, ऐसा करने से उनका भविष्य खराब हो जाता है। इसलिए उन्हें परिश्रम करने की आदत डालनी चाहिए, और मेहनत करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। 

शिक्षा के प्रति बनाएं जागरूक 
चाणक्य नीति के अनुसार माता-पिता को अपने संतान को शिक्षा के प्रति अधिक जागरूक करना चाहिए, ताकि संतान उच्च और आर्दश शिक्षा ग्रहण कर सकें। 
 

Jyoti

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